राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में ,
नीलमणि ही जड़ाऊँगी,
अपने मन की मुंदरियाँ में।
राम का नाम प्यारा लगे,
रसना पे बिठाऊँगी मैं,
मृदु मूरत बसाऊँगी,
नैनों की पुतलिया में,
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में।
हैं झूठे सभी रिश्ते और,
झूठे सभी नाते,
दूजा रंग ना चढ़ाऊँगी,
अपनी श्यामल चदरिया में,
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में।
जल्दी से जतन करके,
राघव को रिझाना है ,
कुछ दिन ही तो रहना है,
काया की कोठरिया में,
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में।
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में ,
नीलमणि ही जड़ाऊँगी,
अपने मन की मुंदरियाँ में,
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में।
राम जैसा नगीना नहीं,
सारे जग की बजरिया में ,
नीलमणि ही जड़ाऊँगी,
अपने मन की मुंदरियाँ में।
राम का मन को मोह लेने वाला भजन एक बार सुनोगे तो बार बार सुनने का मन करेगा#राम नवमीspecial bhajan
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