शंकर चौरा रे महामाई कर रही
शंकर चौरा रे महामाई कर रही
शंकर चौरा रे महामाई,कर रही सोलहा रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे,
शंकर चौरा रे महामाई,
कर रही सोलहा रे।
माथे उनके बिंदिया सोहे,
टिके की बलिहारी राम,
सिंदूर लगा रही रे मांग में,
सिंदूर लगा रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे।
कान में उनके कुण्डल सोहे,
नथुनी की बलिहारी राम,
हरवा पहन रही रे गले में,
हरवा पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे।
हाथो उनके कंगना सोहे,
चूड़ी की बलहारी राम,
मुंदरी पहन रही रे हाथ में,
मुंदरी पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे।
कमर उनके करघन सोहे,
झूलो की बलिहारी राम,
कुछ न पहन रही रे कमर में,
कुछ न पहन रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे।
पांवों में उनके पायल सोहे,
बिछिया की बलिहारी राम,
महावर लगा रही रे पांवों में,
महावर लगा रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे।
अंग में उनके चोला सोहे,
गगरा के बलिहारी राम,
चुनरी ओढ रही रे,
चुनरी ओढ रही रे,
श्रृंगार माई कर रही सोलहा रे।
Shankar Chaura Re - Shahnaz Akhatar - Maiya Panv Paijaniya - Hindi Bhakti