तम जागो जुगारा भाइला रे
तम जागो जुगारा भाइला रे
सब जग सुता नीद भरी,और मोहे ना आवे नींद,
काल खडा है बारने जैसे,
तौरण आयो बिंद।
तम जागो जुगारा भाईला रे,
ओ गुरु देव जगावे है,
गुरुदेव जगावे है,
सत गुरु जगावे है।
होद भरिया घट भीतरा रे,
जल डोलो यो आवे है,
तम छाण पियो म्हारा भाईला रे,
अमृत बण जावे है,
तम जागो जुगारा भाईला रे,
ओ गुरु देव जगावे है।
लोहो घड़े है लुवारीयो रे,
लोहो अजब तपायो है,
हाँ घंण पडे गुरु ज्ञान का रे,
लोहो अजब बणायो है,
तम जागो जुगारा भाईला रे,
ओ गुरु देव जगावे है।
काल खड़ा सिर उपरा रे,
ओ थारे नजर नी आवे रे,
अरे नजर नी आवे है रे,
अरे अण चितयो यो आवे,
तम जागो जुगारा भाईला रे,
ओ गुरु देव जगावे है।
कहे कबीर धर्म दास से रे,
अमरा पुर आजो रे,
अमरा पुर आजो रे,
अमरा पुर चालो रे,
तम जागो जुगारा भाईला रे,
ओ गुरु देव जगावे है,
गुरुदेव जगावे है,
सत गुरु जगावे है।
तम जागो जुगारा भाइला रे | Tam jaago jugara bhaila re, geeta parag kabir,