तेरे लाला ने बृज रज खाई,
यशोदा सुन माई।
अदभुद खेल सखन संग खेलो,
छोटो सो माटी को ढेलो,
तुरत श्याम ने मुख मे मेलो,
याने गटक गटक गटकाई,
यशोदा सुन माई,
तेरे लाला ने बृज रज खाई,
यशोदा सुन माई।
दहि को कबहूँ न नाटी,
क्यों लाला तैंने खाई माटी।।
यशोदा ले समझा रही सांटी,
या। नेक दया न आई,
यशोदा सुन माई,
तेरे लाला ने बृज रज खाई,
यशोदा सुन माई।
मोहन को मुखड़ो खुलवायो,
तीन लोक या में दरशायो,
तब विश्वास यशोदहि आयो,
ये तो पूरण ब्रह्म कन्हाई,
यशोदा सुन माई,
तेरे लाला ने बृज रज खाई,
यशोदा सुन माई।
ऐसो रस नाहीं है माखन में,
मेवा मिश्री और दाखन में,
जो रस है बृज रज चाखन में,
याने मुक्ति की मुक्ति कराई,
यशोदा सुन माई,
तेरे लाला ने बृज रज खाई,
यशोदा सुन माई।
तेरे लाला ने बृज रज खाई,
यशोदा सुन माई।
तेरे लाला ने ब्रज रज खाई, यशोदा सुन माई । बाल गोपाल मनमोहना है भजन ! krishna bhajan geet | mohana
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