हमके गोकुल व बरसाना ब्रज चाही लिरिक्स Hamake Gokul Lyrics
हमके गोकुल व बरसाना ब्रज चाही लिरिक्स Hamake Gokul Lyrics
हमके गोकुल व,बरसाना ब्रज चाही,
जउने भुइयाँ में,
लोटेन उस रज चाही,
हमके दयालु दया,
बस तोहार चाही,
मन में सत्संग कीर्तन,
और प्यार चाही।
जब चरण ग्राह,
धई के पछारे रहा,
कृष्ण गोविन्द कही के,
कहि गज पुकारे रहा,
सारी ताकत लगा हो,
बिबस हारे रहा,
त्यागि सबके जब,
तोहरे सहारे रहा,
नाथ गजराज,
वाली समझ चाही।
जो प्रभो नारि,
गौतम को तारे रहा,
सुर नर मुनि नाग,
किन्नर को प्यारे रहा,
राजा मिथिला की,
बगिया पधारे रहा,
जे के मलि मलि के,
केवट पखारे रहा,
उहीं कोमल चरणवा,
क रज चाही।
जेहि के कृपा कोर से,
भव की फांसी छूटई,
जेहिं के बल तन तजे,
प्राण कशी छुटई,
भक्त जन की है,
चिंता उदासी छूटई,
राम इस दाद की,
भव फांसी छूटई,
ऐसी अर्जी अदालत,
और जज चाही।