(मुखड़ा) मैया स्वरदायिनी, स्वर साज सजाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आजा… आजा… आजा… आजा…।।
(अंतरा) मैं हूँ अज्ञानी, शब्दों को सजाऊँ कैसे, ज्ञान स्वर का नहीं, फिर स्वर से गाऊँ कैसे, इसलिए मैया, तुझे आज तो आना होगा, वाणी में बसके, स्वयं तुमको माँ गाना होगा, बुद्धि हो निर्मल, विमल कविता रचाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आजा… आजा… आजा… आजा…।।
जानूँ ना भक्ति, ना ही सेवा तेरी जानूँ माँ, जानता हूँ तुझे, और तुझको ही पहचानूँ माँ, मैं तो बस वंदन, मैया तेरा बार-बार करूँ, चरणों में रखना, सदा मैया तेरा ध्यान धरूँ, ‘कृष्णा’ है तन्हा, ‘निरंजन’ को बताने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आजा… आजा… आजा… आजा…।।
(पुनरावृत्ति) मैया स्वरदायिनी, स्वर साज सजाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आज इस लाल की माँ, लाज बचाने आजा, आजा… आजा… आजा… आजा…।।
जयहिंद सिंह निरंजन रानी बहुत ही सुंदर वंदना आज इस लाल की मां लाज बचाने आ जा