माँ का सांचा है दरबार लिरिक्स Maa Ka Sancha Hai Darbar Lyrics
माँ का सांचा है दरबार,सुनती भक्तो की पुकार,
माँ के चरणों में आके,
झुकाले अपना सर,
माँ का सांचा है दरबार,
सुनती भक्तो की पुकार।
टूटती उम्मीदें मैया,
आके बँधायेगी,
बिगड़े नसीबो की माँ,
बगिया खिलायेगी,
बांटे मेहरो के भंडार,
जग में गूंजे जय जयकार,
माँ के चरणों में आके,
झुकाले अपना सर,
माँ का सांचा है दरबार,
सुनती भक्तो की पुकार।
ऊँचे पर्वतो में मेरी,
मैया का द्वार है,
वादियों में गूंजती,
बड़ी जय जयकार है,
होके शेर पे सवार,
करे दुष्टो का संघार,
माँ के चरणों में आके,
झुकाले अपना सर,
माँ का सांचा है दरबार,
सुनती भक्तो की पुकार।
खुशियों के मेले वहां,
झूमती बहारे है,
भक्तो की लगी,
चहुं और कतारे है,
केवल तेरा सेवादार,
दर पे झुकता बारम्बार,
माँ के चरणों में आके,
झुकाले अपना सर,
माँ का सांचा है दरबार,
सुनती भक्तो की पुकार।
माँ का सांचा है दरबार,
सुनती भक्तो की पुकार,
माँ के चरणों में आके,
झुकाले अपना सर,
माँ का सांचा है दरबार,
सुनती भक्तो की पुकार।