मात पिता से दगो जो करेगो चार जनम
मात पिता से दगो जो करेगो चार जनम
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
पहला जनम में बनेगो रे बेल तु
पकड़ किसान ले जावेगो
नाक के अंदर नाथ पहरावेगो
और परहाना से मारेगो
मारेगो सुधारेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
दूसरा जनम में बनेगो रे गधड़ो
पकड़ कुम्हार ले जावेगो
कांधा के ऊपर कुंठा धरेगो
और डंडा से मारेगो
मारेगो सुधारेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
तीसरा जनम में बनेगो रे बांदरो
पकड़ मदारी ले जावेगो
गला के ऊपर रस्सी पहरावेगो
घर-घर भीख मंगावेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
चौथा जनम में बनेगो रे बकरो
पकड़ कसाई ले जावेगो
गला के ऊपर छुरी धरेगो
मै-मै करी ने तु तो मर जावेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
चार जनम पछतावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
पहला जनम में बनेगो रे बेल तु
पकड़ किसान ले जावेगो
नाक के अंदर नाथ पहरावेगो
और परहाना से मारेगो
मारेगो सुधारेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
दूसरा जनम में बनेगो रे गधड़ो
पकड़ कुम्हार ले जावेगो
कांधा के ऊपर कुंठा धरेगो
और डंडा से मारेगो
मारेगो सुधारेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
तीसरा जनम में बनेगो रे बांदरो
पकड़ मदारी ले जावेगो
गला के ऊपर रस्सी पहरावेगो
घर-घर भीख मंगावेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
चौथा जनम में बनेगो रे बकरो
पकड़ कसाई ले जावेगो
गला के ऊपर छुरी धरेगो
मै-मै करी ने तु तो मर जावेगो
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
पछतावेगा दुख पावेगा
बीरा म्हारा यो अवसर नहीं आवेगो
मात-पिता से दग़ो जो करेगा
चार जनम पछतावेगा
जनम कुंवारी हैं मैया नर्मदा # दीनभगत # अखिलेश राजा Janam kunwari hai maiya narmada #Narmada Bhajan
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गायक : दीनभगत # अखिलेश राजा
गीतकार : दीनभगत
"Swar Darpan Sound Studio" Jabalpur (mp)
ध्वनि मुद्रण : आशीष सक्सेना (9425829196)
स्वर दर्पण साउंड स्टूडियो जबलपुर
Video : Sunil Shukla (9301200718)
"Amazing Arts" Jabalpur (MP)
वीडियो : सुनील शुक्ला (9301200718)
अमेज़िंग आर्ट्स जबलपुर
गीतकार : दीनभगत
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ध्वनि मुद्रण : आशीष सक्सेना (9425829196)
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वीडियो : सुनील शुक्ला (9301200718)
अमेज़िंग आर्ट्स जबलपुर
माता-पिता के प्रति विश्वासघात करने वाला व्यक्ति चार जन्मों तक पश्चाताप और दुख भोगता है। मानव जीवन का अवसर अनमोल है, जो बार-बार नहीं मिलता, परंतु माता-पिता के साथ छल करने से यह जीवन व्यर्थ हो जाता है। पहला जन्म बैल के रूप में होता है, जहाँ किसान उसे नकेल डालकर खेतों में जोतता है और कोड़े मारकर नियंत्रित करता है। दूसरा जन्म गधे के रूप में होता है, जहाँ कुम्हार भारी बोझ लादकर उसे डंडों से मारता है। तीसरा जन्म बंदर के रूप में होता है, जहाँ मदारी रस्सी बांधकर उसे घर-घर नचाता और भीख मंगवाता है। चौथा जन्म बकरे के रूप में होता है, जहाँ कसाई उसका गला काट देता है, और वह असहाय मृत्यु को प्राप्त होता है। प्रत्येक जन्म में दुख और अपमान का सामना करना पड़ता है, जो माता-पिता के प्रति किए गए अपराध का परिणाम है। यह मानव जीवन माता-पिता की सेवा और सम्मान का अवसर है, जिसे गंवाने से बार-बार पश्चाताप ही प्राप्त होता है।
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Author - Saroj Jangir
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