मन्दिर की सीढ़ी खाटू आकर जो चढ़ता है

मन्दिर की सीढ़ी खाटू आकर जो चढ़ता है

मन्दिर की सीढ़ी,
खाटू आकर जो चढ़ता है,
खाटूवाले की कृपा से,
मौज करता है।

पहली सीढ़ी चढ़ते ही,
मुख से है निकलता,
जय श्री श्याम,
दूजी तीजी सीढ़ी पर निकले,
मुख से जय खाटूधाम,
सुख मिलता है अपार,
हर संकट से उबरता है,
खाटूवाले की कृपा से,
मौज करता है।

चौथी पाँचवीं सीढ़ी चढ़ते ही,
बनते हर बिगड़े काम,
छठी सातवीं आठवीं सीढ़ी,
काटे हैं कष्ट तमाम,
दुश्मन हो संसार,
फिर भी कुछ ना बिगड़ता है,
खाटूवाले की कृपा से,
मौज करता है।

नौवीं दसवीं सीढ़ी चढ़ते ही,
भर जाती दोनों आँख,
ग्यारहवीं सीढ़ी से बाबा से,
होती बातें बेबाक,
शान से जीता है,
बड़े ही शान से मरता है,
खाटूवाले की कृपा से,
मौज करता है।

बारहवीं सीढ़ी चढ़ते ही,
किर्पा का होता एहसास,
तेरहवीं सीढ़ी चढ़ते ही,
आ जाता वो एकदम पास,
मोहित होता श्याम,
तो प्रेमी आगे बढ़ता है,
खाटूवाले की कृपा से,
मौज करता है।
 



मंदिर की सीढ़ी Mandir Ki Seedhi Khatu Shyam Ji Bhajan Mohit Sai Ji (Ayodhya)

Next Post Previous Post