ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां

ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां

ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां,
ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां।

मैं लांबा चाबी मैं खोलां जंदरे,
पता नी मेरे श्याम केहड़े मंदिरे,
ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां।

मैं गुन्नू आटा बनाऊं फुलके,
पता नी मेरे श्याम केहड़े मुल्खे,
ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां।

मैं गुन्नू आटा बनाऊं पूरियां,
पता नी मेरे श्याम केहड़ी दूरियां,
ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां।

मैं जावां मंडी लेआवां छुआरे,
तू देख मेरे श्याम मैं पड़ी द्वारे,
ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां।

मैं जावां दिल्ली ले आवां परना,
तू देख मेरे श्याम मैं पड़ी शरणां,
ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां,
तेरा दरबार भूल गईयां।


ना रोल श्यामा मैं रुल गईयां तेरा दरबार भूल गईयां

Next Post Previous Post