सजा दरबार मैया का
सजा दरबार मैया का,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर,
सजा दरबार मैया का,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
मैं आई आई आई,
माथे का टीका लाई,
पहनाने मैया को आई,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
मैं आई आई आई,
गले का हरवा आई,
पहनाने मैया को आई,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
मैं आई आई आई,
हाथों के कंगन लाई,
पहनाने मैया को आई,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
मैं आई आई आई,
पैरों की पायल लाई,
पहनाने मैया को आई,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
मैं आई आई आई,
मैया की चुनरी लाई,
उढाने मैया को आई,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
मैं आई आई आई,
मैया को हलवा लाई,
खिलाने मैया को आई,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
सजा दरबार मैया का,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर,
सजा दरबार मैया का,
बिकट ऊंचे पहाड़ों पर।
SAJA DARBAAR MAIYA KA VIKAT UCHE PAHADO PE
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