डगर है मुश्किल कठिन सफर है भजन

डगर है मुश्किल कठिन सफर है भजन

डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है,
जो सोएगा, बस वही खोएगा,
जो सोएगा, बस वही खोएगा,
ये बात उसको पता नहीं है,
डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है।।

लगेंगे फल जब किसी वृक्ष में,
वो पेड़ झुक जाएंगे स्वतः ही,
अकड़ तने की बता रही है,
अकड़ तने की बता रही है,
अभी फल इसमें लगा नहीं है,
डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है।।

जो खानदानी रईस होते,
मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है,
तुम्हारा लहजा बता रहा है,
तुम्हारी दौलत नई~नई है,
डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है।।

ज़रा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा,
कि आके बैठे हो पहली शफ में,
अभी से उड़ने लगे हवा में,
अभी से उड़ने लगे हवा में,
अभी ये शोहरत नई~नई है,
डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है।।

डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है,
जो सोएगा, बस वही खोएगा,
जो सोएगा, बस वही खोएगा,
ये बात उसको पता नहीं है,
डगर है मुश्किल, कठिन सफर है,
मगर मुसाफिर जगा नहीं है।।


डगर है मुश्किल कठिन सफर है l Dagar Hai Mushkil Kathin Safar Hai l पूज्य श्री देवेन्द्र जी महाराज

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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