ललिता विशाखा आदि यत सखीवृन्द, आज्ञाय करिब सेवा चरणारविन्द।
श्रीकृष्णचैतन्य प्रभुर दासेर अनुदास,
Krishna Bhajan Lyrics Hindi
सेवा अभिलाष करे नरोत्तमदास।
राधा और कृष्ण केवल भगवान ही नहीं हमारे प्राणों के आधार हैं। उनके बिना हमारा जीवन अधूरा है। मृत्यु के बाद भी हम उन्हीं की शरण चाहते हैं। यमुना के किनारे घने कदंब के वृक्षों के नीचे रत्नजड़ित वेदी पर राधाकृष्ण विराजमान हैं। हम चाहते हैं कि अपने हाथों से उन्हें चंदन का सुगंधित लेप लगाएं, उनके सिर पर चंवर ढुलायें और उनके मुखचंद्र का दर्शन करें। हम उनके लिए मालती के फूलों की माला गूंथे और प्रेम से उनके अधरों पर कपूर मिश्रित तांबूल अर्पित करें। उनकी सखियां ललिता, विशाखा और अन्य सखियां प्रेमपूर्वक उनकी सेवा कर रही हैं। हम भी उसी सेवा में लगे रहना चाहते हैं। श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु के दासों का दास बनकर, उनकी कृपा से हम अपने प्रिय युगल किशोर की सेवा का अवसर पाना चाहते हैं। यही हमारी परम अभिलाषा है।
500 साल पूराना भजन Radha Krishna Pran Mora- राधा कृष्ण प्राण मोरा
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