काली काली अमावस की रात में भजन

काली काली अमावस की रात में भजन

(मुखड़ा)
काली काली महाकाली,
काली काली महाकाली,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।

(अंतरा)
ये अमावस की रात बड़ी काली,
ये अमावस की रात बड़ी काली,
घूमने निकली माता महाकाली,
घूमने निकली माता महाकाली,
एक दानव का मुंड लिए हाथ में,
एक दानव का मुंड लिए हाथ में,
काली काली अमावस की रात में,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।

(अंतरा)
केश बिखरे माँ के काले काले,
केश बिखरे माँ के काले काले,
नैना मैया के हैं लाले लाले,
नैना मैया के हैं लाले लाले,
काला कुत्ता भैरव जी के साथ में,
काला कुत्ता भैरव जी के साथ में,
काली काली अमावस की रात में,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।

(अंतरा)
रूप भैरव जी का काला काला,
रूप भैरव जी का काला काला,
ये तो है मैया काली का लाला,
ये तो है मैया काली का लाला,
बेटा घूमने चला माँ के साथ में,
बेटा घूमने चला माँ के साथ में,
काली काली अमावस की रात में,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।

(अंतरा)
बावन भैरव और छप्पन करुआ,
बावन भैरव और छप्पन करुआ,
साथ सौ सौगंध खेल रहे बरुआ,
साथ सौ सौगंध खेल रहे बरुआ,
चौंसठ योगिनियाँ मैया के साथ में,
चौंसठ योगिनियाँ मैया के साथ में,
काली काली अमावस की रात में,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।

(अंतरा)
माता काली के मुख से निकले ज्वाला,
माता काली के मुख से निकले ज्वाला,
गले पहने हैं मुंडों की माला,
गले पहने हैं मुंडों की माला,
है रूह कांपे है राही के रात में,
है रूह कांपे है राही के रात में,
काली काली अमावस की रात में,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।

(पुनरावृत्ति)
काली काली महाकाली,
काली काली महाकाली,
काली काली अमावस की रात में,
काली निकली काल भैरव के साथ में।।


काली माता भजन \\ Kali Kali Amavas Ki Raat Me By Ramkishor Ragi

काली की उपस्थिति अंधकार में ही सबसे अधिक प्रकट होती है, जैसे सत्य तब ही उभरता है जब भ्रम की परतें हटें। अमावस्या की रात, जो सामान्य दृष्टि में डरावनी प्रतीत होती है, वही रात्रि जब चेतना अपने भय से टकराती है और आत्मा को जाग्रत करने वाली शक्ति सामने आती है। यह कोई साधारण रात्रि नहीं, यह वो समय है जब आत्मा को अपने भीतर की तमस्‍ता को स्वीकार कर उसे माँ की ज्वालाओं में समर्पित करना होता है।

काली का रूप विकराल है, पर उसका विकरालता ही उसके वात्सल्य का प्रमाण है। जब अधर्म सीमाएँ लांघता है, तब कोमलता नहीं, कठोरता ही करुणा बन जाती है। माँ का खुले केश और लाल नेत्रों वाला स्वरूप चेतावनी है कि जब सृष्टि संतुलन से भटकती है तो शक्ति अपने उग्रतम रूप में उतरती है। यह केवल भय दिखाने के लिए नहीं, बल्कि मनुष्य को भीतर से तोड़ कर पुनः जोड़ने का मार्ग है।

काल भैरव का साथ होना इस बात का प्रतीक है कि काली केवल नाश की देवी नहीं, बल्कि वह समय की संचालिका है, और काल का नियंत्रण उसी के हाथ में है। भैरव उस पुत्र की तरह हैं जो माँ की इच्छा का पालन करते हैं और धर्म की रक्षा के लिए माँ के साथ चलते हैं। यह संबंध केवल माता और पुत्र का नहीं, यह चेतना और चेतना की छाया का भी है।

योगिनियों की उपस्थिति इस बात की स्मृति है कि सृष्टि के हर कोने में ऊर्जा का प्रवाह है, और जब वह सारी शक्तियाँ एकत्र होती हैं, तो असुरों के गढ़ भी चूर-चूर हो जाते हैं। यह सहयोग केवल युद्ध के लिए नहीं, बल्कि संतुलन की पुनः स्थापना के लिए होता है।

काली के गले की मुंडमाल और मुख से निकली ज्वाला हमें यह बताती है कि सत्य और धर्म की राह पर चलने वाले को अपने अहंकार, भय और अधर्म के सिर काटने होते हैं। वह ज्वाला चेतावनी है, लेकिन साथ ही वो आह्वान भी है कि भीतर की तमस्‍ता को जलाओ, तभी तुम माँ के समीप आ सकते हो।

रात्रि में कांपता हुआ राही, केवल बाहरी अंधकार से नहीं, अपने भीतर छिपे भय से कांपता है। काली उसी भय से पार कराने का माध्यम हैं। जो अंधकार से मित्रता कर लेता है, वही सत्य को पकड़ सकता है। वही शक्ति की छाया में चल सकता है।

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