गगरिया फोड़ दी मेरी लिरिक्स Gagariya Fod Di Meri Lyrics
गगरिया फोड़ दी मेरी लिरिक्स Gagariya Fod Di Meri Lyrics
माँ यशोदा के पास गोपियाँ,रोज़ ही शिकायत लेके आती,
एक दिन एक गोपी आयी,
और माँ यशोदा से,
कन्हैया की शिकायतें,
कुछ इस तरह करने लगी,
की माँ तेरा ये शरारती,
ये नटखट इस कान्हा ने,
क्या किया है देखो।
अरी मैया कन्हैया की,
शरारत क्या कहूं नटखट की,
मटकिया फोड़ दी मेरी,
गगरिया फोड़ दी मेरी,
कि आके पीछे से चुपके से,
तेरे इस छलिया ने कान्हा ने,
मटकिया फोड़ दी मेरी।
अंधेरी रात में आकर,
मेरा माखन चुराता है,
ये लड़ता है झगड़ता है,
मुझे आंख दिखाता है,
चुनरियाँ खीच कर मेरी,
वो मारा हाथ घूँघट पट पे,
नथनियाँ तोड़ दी मेरी।
फंसा कर मुझको बातों में,
सदा घर पै बुलाती है,
अगर इन्कर करू मैया,
शिकायत लेके आती है,
ये झूठी है जमाने भर की,
मिली थी कल मुझे पनघट पै,
बसुरिया तोड़ दी मेरी।
ये झगड़ा गोपी कान्हा का,
निराला है अनोखा है,
बिहारी से हां मिलने का,
सुनहरा ये ही मौका है,
मैं बलिहारी री मैं वारी,
कन्हैया को बिठाकर घर में,
लगनिया जोड़ दी मेरी।
अरी मैया कन्हैया की,
शरारत क्या कहूं नटखट की,
मटकिया फोड़ दी मेरी,
गगरिया फोड़ दी मेरी,
कि आके पीछे से चुपके से,
तेरे इस छलिया ने कान्हा ने,
मटकिया फोड़ दी मेरी।