जबान जैसी प्यारी जगत में लिरिक्स Jaban Jaisi Pyari Jagat Me Lyrics


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जबान जैसी प्यारी जगत में लिरिक्स Jaban Jaisi Pyari Jagat Me Lyrics

जबान जैसी प्यारी जगत में,
जबान जैसी खारी क्या,
मानुस तन पायो म्हारा मनवा,
जीती बाजी हारी क्या,
जबान जैसी प्यारी जगत में,
जबान जैसी खारी क्या।

राजा होकर न्याय नहीं जाणे,
उस राजा की हाकम धारी क्या,
ब्राह्मण होकर वैद नहीं जाणे,
हो ब्राह्मण ब्रह्मज्ञानी क्या,
जबान जैसी प्यारी जगत में,
जबान जैसी खारी क्या।

साधु होकर चेली राखे,
वो साधु तपधारी क्या,
मित्र होकर अन्तर राखे,
उस नुगरा से यारी क्या,
जबान जैसी प्यारी जगत में,
जबान जैसी खारी क्या।

विधवा होकर सुरमो सारे,
उसने आत्मा मारी क्या,
अपना पति को जहर पिलावे,
वो पतिव्रता नारी क्या,
जबान जैसी प्यारी जगत में,
जबान जैसी खारी क्या।

जिस नगरी में दया धर्म नहीं,
उस नगरी में रहना क्या,
कहे मछेन्द्र सुण जति गोरख,
नहीं माने बिन कहना क्या,
जबान जैसी प्यारी जगत में,
जबान जैसी खारी क्या।
 



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