जलाधार से प्रसाद से हाथ जोड़े भाव से करूं मैं तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया महादेव मेरे कैसे करूं तेरा शुक्रिया
तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया
तुम ही साधक की साधना तुम ही सागर तुम साहिल हो तुम ही साधक की साधना तुम ही सागर तुम साहिल हो तुम हो बसते हर एक कण में तुम ही शाश्वत तुम क्षणिक हो तुमसे मिलकर इतना जाना जो हाथ तुमको थमा दिया फिर डर नहीं किसी बात का महादेव ने गले ला लिया
गलती मेरी थी याद तुमको करता था बस दुख घड़ी में हारा मन जब बेसहारा बनके आया तेरे दर पर तुमसे था लिपटा कर रोया तुमने ही तो सर सहलाया और सुनके मेरी रूहानी बातें जीवन नूरानी बना दिया