मैं तो अमर चुनड़ी ओढू लिरिक्स Main To Amar Chunadi Odhu Lyrics


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मैं तो अमर चुनड़ी ओढू लिरिक्स Main To Amar Chunadi Odhu Lyrics

मीरा जनमी मेड़ते,
वा परणाई चित्तोड़,
राम भजन प्रताप सु,
वा शक्ल सृष्टि शिरमोड,
शक्ल सृष्टि शिरमोड,
जगत में सहारा जानिये,
आगे हुई अनेक,
कई बाया कई रानी,
जीन की रीत सगराम कहे,
जाने में खोर,
तीन लोक चौदह भवन में,
पोछ सके ना कोई,
ब्रह्मा विष्णु भी थक गया,
शंकर गया है छोड़।

धरती माता ने वालो पेरु घाघरो,
मैं तो अमर चुनड़ी ओढू,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

चाँद सूरज म्हारे अंगडे लगाऊ,
मैं तो झरणा रो झांझर पेरु,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

नव लख तारा म्हारे अंगडे लगाऊ,
मैं तो जरणा रो झांझर पेरु,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

नव कोली नाग म्हारे,
चोटीया सजाऊ,
जद म्हारो माथो गुथाऊ,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

ज्ञानी ध्यानी बगल में राखु,
हनुमान वालो कोकण पेरू,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

भार सन्देश में अदकर बांदु,
मैं डूंगरवाली डोडी में खेलु,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

दोई कर जोड़ एतो मीरो बाई बोले,
मैं तो गुण सावरिया रा गावु,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।

धरती माता ने वालो पेरु घाघरो,
मैं तो अमर चुनड़ी ओढू,
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।
 



Me Amar Chundadi Odhu - Prakash Mali का राजस्थान का सदा बहार भजन जिसको हर कोई सुनना पसंद करता है!

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