जब सुरत देखू मोहन की भजन

जब सुरत देखू मोहन की भजन

 
जब सुरत देखू मोहन की भजन

बिन पिये नशा हो जाता है
जब सुरत देखू मोहन की

मनमोहन मदन मुरारी है
जन जन का पालनहारी है
एह दिल उस पर ही आता है
जब.......

घुंघराली लट मुख पर लटके
कानो में कंडल है छलके
जब मन्द मन्द मुस्काता है
जब.......

अंदाज़ निराले है उनके
दुख दर्द मिटाये जीवन के
मेरा रोम रोम हर्षाता है
जब........

वानी में सरस विवार सरल
आंखो में है अंदाज़ उमंग
आनन्द नन्द बरसाता है
जब........



बिन पियै नशा हो जातI है| Alka Goyal || Aaradhya

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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