शौर्यवान वीर हनुमान भजन
शौर्यवान वीर हनुमान
पराक्रम से गूँजे त्रिभुवन,धरती पातल दुष्ट भंजन,
जल सागर करे पराजय क्रन्दन,
त्रिकाल निरंतर लोक वन्दन,
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपिस तिहुँ लोक उजगर,
रामदूत अतुलित बल धामा,
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
पराक्रम से गूँजे त्रिभुवन,
धरती पतल दुष्ट भंजन,
जल सागर करे पराजय क्रन्दन,
त्रिकाल निरंतर लोक वन्दन,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान।
चेहरे से छलकती नम्रता,
आँखों में शांत चित की छाया,
चेहरे से छलकती नम्रता,
आँखों में शांत चित की छाया,
ऊपर है सुबह की लाली,
दिशा सिंदुरलिपि काया,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान।
महाबीर बिक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी,
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुंडल कुंचित केसा,
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजे,
कांधे मूंज जनेऊ साजे,
शंकर सुवना केसरी नंदन,
तेज़ प्रताप महा जग वंदन।
विकट समय निकट जो आये,
प्रथम वहीँ स्मरण आ जाये,
विकट समय निकट जो आये,
प्रथम वहीँ स्मरण आ जाये,
हर विपदा वह दूर करे,
संकट मोचन तभी कहलाये,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान।
शक्ति की नयी परिभाषा,
विराट विक्रमी रूप अनोखा,
शक्ति की नयी परिभाषा,
विराट विक्रमी रूप अनोखा,
लिये उठाये द्रोणगिरी और,
जग देखे लीला न्यारी,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान,
महाबली महा रूद्र महा वज्र,
शौर्यवान वीर हनुमान।
Singer : Vijay Soni
Lyrics :
Music/Composer:
Editor :
Label : Bhakti Veena
Produced By : Fatafat Digital Pvt Ltd.
हनुमान जी का पराक्रम तीनों लोकों में गूंजता है, मानो दुष्टों का अंत करने वाला कोई तूफान उठा हो। धरती, पाताल और सागर उनके सामने नतमस्तक हैं। उनकी शक्ति त्रिकाल तक गाई जाती है, जैसे सूरज की किरणें हर युग को रोशन करती हैं। वह ज्ञान और गुणों का सागर हैं, राम के दूत, जिनका बल अतुलनीय है। अंजनी के पुत्र, पवनसुत के नाम से सारा जग उन्हें पुकारता है।
उनका चेहरा नम्रता से दमकता है, आँखों में शांति की छाया बसती है, पर उनका रूप वज्र-सा अटल है। सिन्दूरी काया और सुबह की लाली-सा तेज लिए वह दिशाओं को आलोकित करते हैं। जैसे कोई योद्धा युद्ध में अडिग हो, वहीँ हनुमान जी शौर्य और करुणा का संगम हैं।
वह महावीर हैं, जो कुबुद्धि को हरकर सन्मति का प्रकाश फैलाते हैं। स्वर्ण-से दमकते, कुंडल और कंचित केशों से सुशोभित, उनके हाथ में वज्र और ध्वजा शोभा पाते हैं। शंकर के अवतार, केसरी नंदन, उनका तेज सारे जग में पूज्य है।