जटा में तेरी गंगा विराजे माथे चन्द्र सजाया शिव भजन

जटा में तेरी गंगा विराजे माथे चन्द्र सजाया Jata Me Teri Ganga Viraje

 
जटा में तेरी गंगा विराजे माथे चन्द्र सजाया Jata Me Teri Ganga Viraje

दुखियों के सब दुख हर लेते हैं,
भस्म लपेटे रहते हैं,
कष्ट उन्हें क्या जो भोले की,
शरण में हरपल रहते हैं।

जटा में तेरी गंगा विराजे,
माथे चन्द्र सजाया,
जटा में तेरी गंगा विराजे,
माथे चन्द्र सजाया,
सावन में जब डमरू बाजे,
तीनो लोक सुहाया,
आया सावन आया,
भोले का सावन आया,
आया सावन आया,
बाबा का सावन आया।

जटा में तेरी गंगा विराजे,
माथे चन्द्र सजाया,
जटा में तेरी गंगा विराजे,
माथे चन्द्र सजाया,
सावन में जब डमरू बाजे,
तीनो लोक सुहाया,
आया सावन आया,
भोले का सावन आया,
आया सावन आया,
बाबा का सावन आया।

तेरी महिमा हम क्या बताएं,
मंदिर खुद हैं बताते,
मानव क्या सावन में तुझसे,
देव भी मिलने आते।

तेरी महिमा हम क्या बताएं,
मंदिर खुद हैं बताते,
मानव क्या सावन में तुझसे,
देव भी मिलने आते।

हम हैं दुखारी हम क्या लाये,
बेलपत्र है लाया,
हम हैं दुखारी हम क्या लाये,
बेलपत्र है लाया।

सावन में जब डमरू बाजे,
तीनो लोक सुहाया,
आया सावन आया,
भोले का सावन आया,
आया सावन आया,
बाबा का सावन आया।

मैया पार्वती है शक्ति,
विघ्न के हर्ता गणेश,
सेनापति हो मुरगन जैसा,
फिर कैसे हो कलेश।

मैया पार्वती है शक्ति,
विघ्न के हर्ता गणेश,
सेनापति हो मुरगन जैसा,
फिर कैसे हो कलेश।

यही सोंचकर सुन मेरे दाता,
याचक दर पर आया,
यही सोंचकर सुन मेरे दाता,
याचक दर पर आया।

सावन में जब डमरू बाजे,
तीनो लोक सुहाया,
आया सावन आया,
भोले का सावन आया,
आया सावन आया,
बाबा का सावन आया।

छटा अनूपम है सावन की,
कांवरिया हैं बताते,
लेकिन जब तक तू न चाहे,
हम तो नही जा पाते।

छटा अनूपम है सावन की,
कांवरिया हैं बताते,
लेकिन जब तक तू न चाहे,
हम तो नही जा पाते।

भाग्य देख संयोग का बाबा,
तेरे रंग में नहाया,
भाग्य देख संयोग का बाबा,
तेरे रंग में नहाया।

सावन में जब डमरू बाजे,
तीनो लोक सुहाया।

आया सावन आया,
भोले का सावन आया,
आया सावन आया,
बाबा का सावन आया।

जटा में तेरी गंगा विराजे,
माथे चन्द्र सजाया,
जटा में तेरी गंगा विराजे,
माथे चन्द्र सजाया,
सावन में जब डमरू बाजे,
तीनो लोक सुहाया।

आया सावन आया,
भोले का सावन आया,
आया सावन आया,
बाबा का सावन आया।
 
इस भजन में भगवान शिव की महिमा और उनके भक्तों के प्रति गहरी श्रद्धा का चित्रण है। भगवान शिव, जो त्रिलोक के स्वामी हैं, हमेशा अपने भक्तों की सहायता करते हैं और उनके दुखों को दूर करते हैं। उनकी जटा में गंगा विराजती है और उनके माथे पर चंद्रमा शोभित होता है, जो उनकी अद्भुत शक्ति और सौम्यता को दर्शाता है। सावन के महीने में जब डमरू की ध्वनि गूंजती है, तो यह पूरे त्रिलोक में आनंद और शांति फैलाती है। भगवान शिव की महिमा इतनी विशाल है कि न केवल मनुष्य, बल्कि देवता भी उनके दर्शन के लिए आते हैं। भजन में यह भी कहा गया है कि शिव जी की शरण में आने से हर संकट का निवारण होता है। सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह भजन शिव के भक्तों द्वारा इस पवित्र अवसर पर उनकी महिमा का गायन करता है।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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