ऊँचे पर्वत पे बैठी माँ राह दिखाती है

ऊँचे पर्वत पे बैठी माँ राह दिखाती है

(मुखड़ा)
ऊँचे पर्वत पे बैठी माँ,
राह दिखाती है,
चलो चलो माँ शेरावाली,
हमें बुलाती है,
चलो चलो माँ शेरावाली,
हमें बुलाती है।।

(अंतरा)
हँसते हँसते, नाचते गाते,
माँ से मिलने जाएंगे,
वैष्णो माता के चरणों में,
दिल क्या, सर भी झुकाएंगे,
देखो सारे बच्चों पे माँ,
प्यार लुटाती है,
चलो चलो माँ शेरावाली,
हमें बुलाती है।।

तेरी इस मुट्ठी में ऐ माँ,
ये सारा संसार है,
माँ भी मेरी प्यारी है और,
प्यारा सा दरबार है,
जब भी कोई संकट आए,
हमें बचाती है,
चलो चलो माँ शेरावाली,
हमें बुलाती है।।

(पुनरावृत्ति)
ऊँचे पर्वत पे बैठी माँ,
राह दिखाती है,
चलो चलो माँ शेरावाली,
हमें बुलाती है,
चलो चलो माँ शेरावाली,
हमें बुलाती है।।


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