क्या लेके आया जग में
क्या लेके आया जग में
क्या लेके आया जग में,क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
इस जगत सराही में,
मुसाफिर रहना दो दिन का,
क्यूँ झुठा करे गुमान मूरख,
इस धन और यौवन का,
बंद मुट्ठी आया जग में,
खाली हाथ जाएगा,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
वो कहाँ गए बलवान,
तीन पग धरती तोलनिया,
जारी एडी पड़ती धाक,
नही कोई सामने बोलनिया,
निर्भय हो लड़िया,
नर गया है अकेला,
दो दिन को जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
ना छोड़ सके कोई,
माया गिणी गिणाई ने,
गढ़ की लाखी नीव छोड़ गया,
बड़े बड़ाई में।
चीनी रे चिनाई रह गई,
चला वो अकेला,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
इस काया का है भाग भाग,
बिन पाया नही जाता,
कहे कबीर नसीब बिना,
फल पाया/खाया नही जाता।
निर्भय हो तरिया नर,
हरि गुण गाइके,
दो दिन को जिंदगी है,
दो दिन का मेला।
क्या लेके आया जग में | Kya Leke Aaya Jag Mein | Geeta Parag | Hindi Folk Song mo. 9669359081