पार करो मेरा बेड़ा भव से हे शिव शंकर कैलाशी
आस लगाए दर पे खड़ी हूँ,
तेरे चरणों की दासी,
पार करो मेरा बेडा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी,
तीनो लोक में नाम तुम्हारा,
स्वामी तुम घट घट वासी,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।
सबकी तुने बिगड़ी बनाई,
मुझसे क्यों मुख फेर लिया,
जो भी आया तेरे द्वारे,
भर उसका भंडार दिया,
बाँट के अमृत सारे जग को,
तूने बाबा जहर पिया,
आके संभालो हे दुःख भंजन,
मुझको दुखो ने घेर लिया,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।
सुनलो मेरी करुण कहानी,
भर भर नैन मेरे आये,
तेरे द्वारे रोऊ बाबा,
तू करुणाकर कहलाये,
तेरी दया के सागर से,
कुछ बुँदे मुझको मिल जाये,
सच कहती हूँ जीवन रूपी,
चमन मेरा भी खिल जाये,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी,
आस लगाए दर पे खड़ी हूँ,
तेरे चरणों की दासी,
तीनो लोक में नाम तुम्हारा,
स्वामी तुम घट घट वासी,
पार करो मेरा बेड़ा भव से,
हे शिव शंकर कैलाशी।
सोमवार स्पेशल भजन : पार करो मेरा बेड़ा भव से है शिव कैलाशी | Vandana Vajpai | Rathore Cassettes
जीवन की नदी में जब मनुष्य सांसारिक बंधनों और दुखों के भँवर में फंस जाता है, तब वह उस परम शक्ति की शरण में जाता है, जो इस भवसागर से उद्धार करने में समर्थ है। यह शरणागति पूर्ण समर्पण और विश्वास का प्रतीक है, जहाँ मनुष्य अपनी नश्वरता को स्वीकार कर उस अनंत शक्ति के चरणों में स्वयं को अर्पित करता है। यह भावना एक गहरी आध्यात्मिक पुकार है, जो मानव के हृदय से निकलकर उस सर्वोच्च सत्ता तक पहुँचती है, जो न केवल दुखों का नाश करने वाली है, बल्कि सभी प्राणियों के भीतर निवास करने वाली है। इस पुकार में एक दासत्व का भाव है, जहाँ मनुष्य स्वयं को उस ईश्वरीय शक्ति का सेवक मानता है, और उसकी कृपा के बिना जीवन की यात्रा को पार करना असंभव समझता है। यह विश्वास कि वह शक्ति तीनों लोकों में व्याप्त है और हर हृदय में बसी है, मनुष्य को यह आशा देता है कि उसका उद्धार संभव है।
जब जीवन में कठिनाइयाँ और दुख घेर लेते हैं, तब मनुष्य उस करुणामयी शक्ति की ओर मुड़ता है, जिसने असंख्य जीवों के जीवन को संवारा और उनके दुखों को हर लिया। यह एक ऐसी शक्ति है, जो स्वयं कठिनाइयों को अपनाकर दूसरों के लिए अमृत बाँटती है। मनुष्य की यह प्रार्थना कि उसकी करुणा की पुकार सुनी जाए और उसे दया की कुछ बूँदें प्राप्त हों, यह दर्शाता है कि वह उस अनंत सागर से केवल थोड़ा सा आशीर्वाद पाकर भी अपने जीवन को सार्थक और सुंदर बना सकता है। यह विश्वास कि वह शक्ति करुणाकर है और उसका दरवाजा कभी खाली नहीं लौटता, मनुष्य को आशा और धैर्य प्रदान करता है। यह प्रार्थना केवल दुखों से मुक्ति की नहीं, बल्कि जीवन को एक खिलते हुए चमन में बदलने की कामना है, जहाँ आत्मा का उद्धार और परम शांति की प्राप्ति हो सके।
भगवान शिव को आदिगुरु के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ही योग और तंत्र का ज्ञान सबसे पहले सप्तऋषियों को दिया था। एक संत के रूप में, वे हिमालय की गुफाओं और श्मशान घाटों में निवास करते हैं, जो यह दर्शाता है कि सच्चा ज्ञान और शांति बाहरी भौतिक सुखों में नहीं, बल्कि वैराग्य और आत्मनिरीक्षण में पाई जाती है। उनके गले में सर्प, शरीर पर भस्म, और जटाओं में गंगा का वास उनके भीतर के वैराग्य और जीवन-मृत्यु के चक्र से परे होने का प्रतीक है। वे अपने शिष्यों को शांत मन, ध्यान और आत्मज्ञान का महत्व सिखाते हैं, जो जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने का मार्ग है। इस प्रकार, शिव एक ऐसे गुरु हैं जो हमें यह बताते हैं कि जीवन का वास्तविक उद्देश्य भौतिक संसार से ऊपर उठकर अपनी आंतरिक चेतना को पहचानना है।
#Title Song :- सोमवार स्पेशल भजन : पार करो मेरा बेड़ा भव से है शिव कैलाशी | Vandana Vajpai | Rathore Cassettes
Album : Bhola Na Mane Re |
Singer - Vandana Vajpai, Anuja, Rakesh Kala
Lyrics : Rukam Singh Dhiran
Music : Ratan Prasanna
#Sonotek Onwer:- Hansraj Railhan
#Office Number:- 011-23268079
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