दुर्बल को न सताइये जाकि मोटी हाय हिंदी मीनिंग Durbal Ko Na Sataiye Meaning

दुर्बल को न सताइये जाकि मोटी हाय हिंदी मीनिंग Durbal Ko Na Sataiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth/ Arth

दुर्बल को न सताइये, जाकि मोटी हाय ।
मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय॥
or
दुर्बल को न सताइए, जाकि मोटी हाय।
बिना जीव की हाय से, लोहा भस्म हो जाय।
 
दुरबल को न सताइए, जाकि मोटी हाय।
मरे बैल की चार्म सों लोह भसम हुवै जाय।
Durbal Ko Na Sataiye, Jaki Moti Haay,
Bina Jeev Ki hay Se, Loha Bhasm Ho Jaay.
 
दुर्बल को न सताइये जाकि मोटी हाय हिंदी मीनिंग Durbal Ko Na Sataiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

कबीर साहेब की वाणी है की दुर्बल लोगों को नहीं सताना चाहिए, क्योंकि उनकी हाय बहुत शक्तिशाली और प्रबल होती होती है. जैसे मरे हुए पशु की चमड़ी से लुहार धोंकनी (हवा मारने का यंत्र / ब्लोअर ) बनाता है और उसी से लोहा भस्म हो जाता है, वैसे ही दुर्बल व्यक्ति की हाय से बड़े से बड़े व्यक्ति का भी अंत हो जाता है, इसलिए हमें कभी भी दुर्बल, असहाय, निर्बल कमजोर को सताना नहीं चाहिए.

दोहे में कबीर कह रहे हैं कि दुर्बल लोगों को सताना एक मूर्खतापूर्ण काम है. दुर्बल लोग शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, लेकिन वे मानसिक रूप से बहुत शक्तिशाली हो सकते हैं. जब कोई दुर्बल व्यक्ति को सताता है, तो वह उस व्यक्ति को बहुत अधिक दुख पहुंचाता है. इस दुख से दुर्बल व्यक्ति की हाय निकलती है, जो बहुत ही शक्तिशाली होती है. अतः कमजोर और दुर्बल को कभी भी नहीं सताना चाहिए .
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