जय मां धर विकट रूप तुम प्रकट हुई हो लिरिक्स Jay Maa Dhar Vikat Rup Lyrics
जय मां धर विकट रूप तुम प्रकट हुई हो लिरिक्स Jay Maa Dhar Vikat Rup Lyrics
जय मां,धर विकट रूप तुम प्रकट हुई हो,
सज्जन के कल्याण हेतु,
जो पार करे भवसागर से,
तुम हो माता वह धर्म सेतु।
तुम आदि शक्ति जगदम्बा हो,
तुम शतचंडी चामुंडा हो,
तुम करती मन को निर्विकार,
तुम हितकारी हो हर प्रकार,
तुम विकट रूप धर प्रकट हुई हो,
सज्जन के कल्याण हेतु,
जो पार करे भवसागर से,
तुम हो माता वह धर्म सेतु।
तुम राधा हो तुम सीता हो,
तुम सत्य सनातन गीता हो,
तुम कण कण में हो विद्यमान,
तुम ही भविष्य तुम वर्तमान,
तुम विकट रूप धर प्रकट हुई हो,
सज्जन के कल्याण हेतु,
जो पार करे भवसागर से,
तुम हो माता वह धर्म सेतु।
तुम तृष्णा हो तुम तुष्टि हो,
तुम दृष्टि हो तुम श्रृष्टि हो,
तुम श्रोत ऊर्जा का अनंत,
तुम आदि अंत तुम दिग दिगंत,
तुम विकट रूप धर प्रकट हुई हो,
सज्जन के कल्याण हेतु,
जो पार करे भवसागर से,
तुम हो माता वह धर्म सेतु।