पंडित पढ़ते वेद को पुस्तक हस्ति लाद मीनिंग Pandit Padhte Ved Ko Meaning
पंडित पढ़ते वेद को पुस्तक हस्ति लाद मीनिंग Pandit Padhte Ved Ko Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
पंडित पढ़ते वेद को, पुस्तक हस्ति लाद,
भक्ति ना जाने हरि की, सबे परीक्षा बाद।
Pandit Padhate Ved Ko, Pustak Hasti Lad,
Bhankti Na Jane hari Ki, Sabe Pariksha Bad
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की पंडित वेदों को पढ़ते है, उनको रटते हैं जिसका कोई भी लाभ नहीं होता है। वे हाथी पर लादने लायक ढ़ेर सारी पुस्तकें पढ़ जाते हैं, या हाथी पर लदी इतनी पुस्तकें पढ़ जाते हैं। लेकिन यदि वे हरि की भक्ति नहीं जानते हैं-तो उनका पढ़ना व्यर्थ है और उनकी परीक्षा बेेकार चली जाती है।महज किताबी ज्ञान पर कबीर साहेब का कटाक्ष है की पंडित लोग वेद को पढ़ते हैं, हाथों में पुस्तकों का भार लाद कर फिरते हैं, लेकिन उन्होंने वास्तविक भक्ति को नहीं पहचाना है, अतः उनकी परीक्षा में सभी ज्ञान व्यर्थ ही चला जाता है। ज्ञान सूक्ष्म होता है जिसे आत्मिक रूप से अपने अंदर ग्रहण करना चाहिए, यह चरित्र में उतरना आवश्यक है। नैतिक और भलाई की बातें कहकर यदि किसी के साथ अन्याय किया जाए तो यह ज्ञान किस काम का, इसका कोई प्रयोजन नहीं है।
अतः साहेब की वाणी है की शुद्ध हृदय से ईश्वर के नाम का सुमिरन ही सच्ची भक्ति है, इसका किसी किताब से कोई सम्बद्ध नहीं है, यह आत्मिक है।
अतः साहेब की वाणी है की शुद्ध हृदय से ईश्वर के नाम का सुमिरन ही सच्ची भक्ति है, इसका किसी किताब से कोई सम्बद्ध नहीं है, यह आत्मिक है।