तिनका कबहुँ न निंदिये मीनिंग अर्थ Tinaka Kabahu Na Nidiye Meaning

तिनका कबहुँ न निंदिये मीनिंग अर्थ Tinaka Kabahu Na Nidiye Meaning : Kabir Ke Dohe

तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँयन तर होय।
कबहुँ उड़ आँखिन परे, पीर घनेरी होय॥
or
तिनका कबहूँ न निंदिये, जो पाँव तले होए।
कबहूँ उड़ आंखन पड़े, पीड़ घनेरी होए।।

Tinaka Kabahun Na Nindiye Jo Paanyan Tar Hoy .
Kabahun Ud Aankhin Pare, Peer Ghaneree Hoy .
Ya
Tinaka Kabahoon Na Nindiye, Jo Paanv Tale Hoe.
Kabahoon Ud Aankhan Pade, Peed Ghaneree Hoe.. 
Ya
Tinaka Kabahu Na Nindiye, Jo Payan Tar Hoy,
Kabahu Ud Aakhin Pre, Peer Ghaneri Hoy.
 
तिनका कबहुँ न निंदिये मीनिंग अर्थ Tinaka Kabahu Na Nidiye Meaning

 

दोहे के हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning

तिनका : तृण, लकड़ी का एक छोटा अंश, कूड़ा करकट ,घास फूंस,ज़रा सी चीज़, कोई चीज़, कम से कम क़ीमत की चीज़(मजाज़न) हक़ीर और बेहक़ीक़त शैय,(किनायन)
कबहुँ : कभी भी।
न : नहीं।
निंदिये : निंदा करनी चाहिए।
पाँयन : पावों, पैरों
तर : नीचे
होय : होता है /है।
कबहुँ : जब
उड़ : उड़ करके
आँखिन :
आँखों में
परे : गिर जाता है, पड़ जाता है।
पीर : पीड़ा।
घनेरी : घनी, ज्यादा, बहुत।
होय : होती है। 

तिनका कबहुँ न निंदिये मीनिंग अर्थ /भावार्थ Tinaka Kabahu Na Nidiye Hindi Meaning

कबीर साहेब के इस दोहे का हिंदी भावार्थ है की किसी को छोटा समझ कर / उसकी शक्तियों को कम आंक कर उसकी अवहेलना और निंदा नहीं करनी चाहिए। जैसे पांवों के तले तिनका (तुच्छ वस्तु) जब उड़ कर आँखों में गिर जाता है तो बहुत ही अधिक पीड़ा होती है।  दोहे में कहा गया है कि हमें किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए और उनकी शक्तियों को कम करके नहीं आंकना चाहिए। जैसे पांवों के तले एक छोटा सा तिनका जब आँखों में गिर जाता है, तो बहुत दर्द होता है, पीड़ा होती है। इससे समझते हैं कि हमें सभी व्यक्तियों और वस्तुओं का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि हर एक का अपना महत्त्व होता होता है।
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