ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया भजन
भगवान कृष्ण को उनकी बांसुरी एक दिव्य उपहार के रूप में मिली थी। यह बांसुरी ऋषि दधीचि की हड्डी से बनी थी। ऋषि दधीचि एक महान ऋषि थे, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपनी हड्डियां दान कर दी थीं। भगवान शिव ने उनकी हड्डियों से एक दिव्य बांसुरी बनाई और उसे भगवान कृष्ण को भेंट दिया।
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया भजन
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,
तुम्हारी यादों में प्राण प्यारे,
आंखों से आंसू छलक रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
मुझे है कितनी तुमसे मोहब्बत,
कभी जरा आज़मा के देखो,
तुम्हारे कदमों में मर मिटेंगे,
तुम्हारे कदमों में मर मिटेंगे,
दिल में ये अरमा मचल रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
मुझे है चाहत बस एक तेरी,
ना छोड़ना तुम मुझे अकेला,
तुम मुझसे बस इतना सा कह दो,
तुम मुझसे बस इतना सा कह दो,
मिलने को तुमसे हम चल रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
हम तुमसे दामन फैला के माँगे,
रहमत की अपनी तुम भीख दे दो,
चित्र विचित्र भी ऐ कमली वाले,
चित्र विचित्र भी ऐ कमली वाले,
तेरे कर्म पे ही पल रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
ऐ मुरली वालें मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,
तुम्हारी यादों में प्राण प्यारे,
आंखों से आंसू छलक रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,
तुम्हारी यादों में प्राण प्यारे,
आंखों से आंसू छलक रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
मुझे है कितनी तुमसे मोहब्बत,
कभी जरा आज़मा के देखो,
तुम्हारे कदमों में मर मिटेंगे,
तुम्हारे कदमों में मर मिटेंगे,
दिल में ये अरमा मचल रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
मुझे है चाहत बस एक तेरी,
ना छोड़ना तुम मुझे अकेला,
तुम मुझसे बस इतना सा कह दो,
तुम मुझसे बस इतना सा कह दो,
मिलने को तुमसे हम चल रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
हम तुमसे दामन फैला के माँगे,
रहमत की अपनी तुम भीख दे दो,
चित्र विचित्र भी ऐ कमली वाले,
चित्र विचित्र भी ऐ कमली वाले,
तेरे कर्म पे ही पल रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं।
ऐ मुरली वालें मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,
तुम्हारी यादों में प्राण प्यारे,
आंखों से आंसू छलक रहे हैं,
ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं
बाबा चित्र विचित्र जी के इस भजन ने धूम मचा दी - ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं
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Author - Saroj Jangir
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