कबीर मरनां तहं भला जहां आपनां न कोइ मीनिंग Kabir Marana Tah Bhala Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
कबीर मरनां तहं भला, जहां आपनां न कोइ।आमिख भखै जनावरा, नाउं न लेवै कोइ॥
Kabir Marana Tah Bhala, Jaha Aapna Na Koi,
Aamikh Bhake Janavara, Nau Na Leve Koi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब साधक के लिए मृत्यु के विषय में सन्देश देते हैं की उस स्थान पर अपना शरीर त्याग देना अच्छा होता है जहा पर कोई भी अपना नहीं होता है। जीव जंतु उसकी मृत देह को खाकर अपना पेट भर लें और आस पास उसका नाम लेने वाला, उसे पहचानने वाला कोई ना हो। कबीर साहेब का विचार है की हमें ऐसे स्थान पर मरना चाहिए जहाँ पर खैर खबर लेने वाला कोई ना हो. जहाँ अपना कोई ना हो, तुम्हारी देह को खाकर जानवर अपना पेट भर ले. भाव है की मृत्यु को भी सार्थक बनाओ. इस दोहे का संदेश है कि हमें अपने आत्मा को निःस्वार्थ बनाना चाहिए, और मृत्यु के बाद भी हमारी देह का उपयोग दूसरों की सेवा के लिए किया जा सकता है। अतः इस दोहे में कबीर साहेब साधक को उपयोगी होने का सन्देश दे रहे हैं.