जय जय पितर जी महाराज लिरिक्स Jay Jay Pitar Ji Maharaj Bhajan Lyrics
श्राद्ध एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है जो पितरों के लिए किया जाता है। यह अनुष्ठान भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि को पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। श्राद्ध के दौरान, लोग अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना और अनुष्ठान करते हैं। वे पितरों के लिए भोजन और पानी का अर्पण करते हैं, और उन्हें पितृलोक में शांति और खुशी प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। श्राद्ध - श्राद्ध एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों के लिए भोजन और पानी का अर्पण किया जाता है। श्राद्ध आमतौर पर किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे किया जाता है। पिंडदान - पिंडदान एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों को आटे और चावल के पिंड अर्पित किए जाते हैं। पिंडदान आमतौर पर किसी पवित्र स्थान पर किया जाता है। तर्पण - तर्पण एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें पितरों को जल का अर्पण किया जाता है। तर्पण आमतौर पर किसी पवित्र स्थान पर किया जाता है।
जय जय पितर जी महाराज लिरिक्स Jay Jay Pitar Ji Maharaj Bhajan Lyrics
जय जय पितर जी महाराज,मैं शरण पड़्यो हू थारी।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
शरण पड़्यो हू थारी ओ देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
देवा पितृ जी महाराज,
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवन हारे,
मैं मूरख हू कछु नहीं जाणूं,
आप ही हो रखवारे।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
देवा पितृ जी महाराज,
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुज़ारी।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
देवा पितृ जी महाराज,
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपको,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
देवा पितृ जी महाराज,
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रटू मैं बारम्बार।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
देवा पितृ जी महाराज,
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
शरण पड़्यो हू थारी ओ देवा,
रखियो लाज हमारी।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हू थारी,
देवा पितृ जी महाराज,
जय जय पितरजी महाराज,
मैं शरण पड़्यो हूं थारी,
शरण पड़्यो हू थारी बाबा,
शरण पड़्यो हू थारी।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहि जाणू,
आप ही हो रखवारे।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपको,
लगे बहुत सुखदाई।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवारा,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रटूं मैं बारम्बार।
Jai jai pitar ji maharaj mai saran padyo hu thari by vikash sharma
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