तुझे पुकारे एक दुखियारा भजन

तुझे पुकारे एक दुखियारा माता भजन

 
तुझे पुकारे एक दुखियारा

तुझे पुकारे एक दुखियारा,
माँग रहा है तुझसे सहारा।

हार रहा हूँ बाबा,
जीती हुई मैं सारी दाव रे,
साहिल पे आ कर दाता,
डूब रही मेरी नाँव रे।

आजा कन्हैया बनके,
मेरा खिवैया दे दे,
मुझे किनारा।

छोड़ गई है बाबा,
अपना बताने वाली फ़ौज रे,
उठाया ना जाए अब तो,
मुझसे अकेले गम का बोझ रे,
दुनिया से खाके ठोकर,
खुद से हताश हो कर,
तुझे पुकारा।

देख के दयालु मुझको,
तू भी ना अपनी आंखें मूँद रे,
करुणा के सागर मुझपे,
लुटा दे दया की थोड़ी बूँद रे।

मेरी तरफ़ भी माधव,
अपनी नज़र का करो,
एक इशारा।

jiska dil tut ta hai wahe bol sakta hai Tujhe Pukare Ek Dukhiyara - Sourabh Sharma #trending #viral

हृदय में एक ऐसी तीव्र पुकार उठती है, जो दुखों के बोझ तले दबे भक्त की व्यथा और उस परम सत्ता से सहारा मांगने की गहन आकांक्षा को व्यक्त करती है। यह पुकार केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि एक ऐसी आत्मिक याचना है, जो जीवन की हारी हुई बाजियों और डूबती नाव को किनारे लगाने की आस लिए उस करुणा निधान की ओर देखती है। दुनिया की ठोकरें, अकेलेपन का बोझ, और स्वयं से हताशा ने भक्त को उस सांवरे के चरणों में ला खड़ा किया है, जहां वह केवल एक कृपादृष्टि की प्रतीक्षा करता है। यह भावना उस गहरे विश्वास को दर्शाती है कि वह सदा अपने भक्तों का खिवैया बनकर उनकी नाव को तूफानों से पार ले जाता है, और हर संकट में उनका सच्चा सहारा बनता है।

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