जिसके घर दरबार ये लगाता है

जिसके घर दरबार ये लगाता है

जिसके घर दरबार ये लगाता है,
उसका घर ही खाटू बन जाता है,
ये देव निराला है,
जग का रखवाला है,
साँवरिये से प्रेम जो बढ़ाता है
उसका घर ही खाटू बन जाता है।

जिस घर बाबा की ज्योति जली,
हर इक विपदा चुटकी में टली,
मुश्किल सारी आसान हुई,
तकलीफें कोसों दूर चली,
बाबा की जो ज्योति जलाता है,
उसका घर ही खाटू बन जाता है।

जिस घर बाबा का,
प्रवेश हुआ,
दुख भागा,
दूर क्लेश हुआ,
दरबार वहीं,
पर लग पाया,
बाबा का जहाँ,
आदेश हुआ,
जिसके घर ये,
पाँव फिराता है,
उसका घर ही,
खाटू बन जाता है।

जिस घर होता,
बाबा का भजन,
कृपा से महक,
जाता आँगन,
ख़ुशक़िस्मत हैं,
वो घर वाले,
जुटते जिनके,
घर प्रेमीजन,
बाबा का जो,
कीर्तन कराता है,
उसका घर ही,
खाटू बन जाता है।

जिस घर इसका,
श्रृंगार हुआ,
ख़ुशियों का वहाँ,
विस्तार हुआ,
दुख भागा दूर,
दुखी होकर,
इतना सुखमय,
संसार हुआ,
बाबा का श्रृंगार,
जो कराता है,
उसका घर ही,
खाटू बन जाता है।

जिस घर पर है,
बाबा का करम,
उस घर को ना,
समझो स्वर्ग से कम,
मोहित है अगर सरकार मेरा,
तो होने ना देता आँखें नम,
मोरछड़ी लहराता है,
उसका घर ही खाटू,
बन जाता है।
 


Jiske Ghar Darbar Ye Lagata Hai (Hindi)
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