गारी ही से ऊपजे कष्ट और मीच मीनिंग Gari Hi Se Upaje Meaning

गारी ही से ऊपजे कष्ट और मीच मीनिंग Gari Hi Se Upaje Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

गारी ही से ऊपजे कष्ट और मीच।
हारि चले सो सन्त है, लागि मरै सो नीच।।
 
Gaari Hi Se Upaje, Kasht Aur Meech,
Hari Chale So Sant Hai, Lagi Mare So Neech
 
गारी ही से ऊपजे कष्ट और मीच मीनिंग Gari Hi Se Upaje Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

हमें सभी लोगों को सही बोलना चाहिए, गाली से कलह, कष्ट और झंगडे होते हैं, इस अशांति से जीवन में अनेकों समस्याएं आती हैं। अतः गाली देने पर जो उत्तर ना दे, उत्तेजित न हो वही सच्चा संत है और जो पलट कर प्रहार करता है वह नीच कहलाता है.
 
इस दोहे का भावार्थ है की व्यक्ति को गाली का उत्तर गाली से नहीं देना चाहिए. अधम व्यक्ति ही गाली का उत्तर देता है क्योंकि गाली और अपशब्दों से झगड़े और फसाद ही उत्पन्न होते हैं. जो व्यक्ति हार मान ले, गाली और झगड़े को टाल दे वही संत/साधू कहलाता है, जो व्यक्ति झगड़े में फंसा रहता है वह नीच कहलाता है. इस दोहे का आशय है की हमें गाली गलौच को टालने के लिए उसका जवाब नहीं देना चाहिए और अपने मुख से किसी को बुरा भला नहीं बोलना चाहिए.
 
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