कबीर संगत साधु की नित प्रति कीजै जाय मीनिंग Kabir Sangat Sadhu Ki Meaning : Kabir Ke Dohe
कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय |
दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय ||
Kabir Sangat Sadhu Ki, Nit Prati Keeje Jay,
Durmati Door Bahavasi Deshi Sumati Batay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
साधू और संतजन की संगती के विषय में कबीर साहेब का कथन है की संतजन और साधुओं की संगती करनी चाहिए। साधू की संगती को नित्य प्रतिदिन करनी चाहिए। संतजन और साधू कुबुद्धि को दूर करते हैं, दूर बहाते हैं और सुमति / सद्बुद्धि दे सकते हैं। आशय है की समस्त अवगुण संतजन की संगती से दूर होते हैं और सद्बुद्धि प्राप्त होती है। गुरु कबीर जी की ये पंक्तियाँ हमें संगति की महिमा बताती हैं। गुरु कबीर जी कहते हैं कि हमें संतों की संगति करना चाहिए, क्योंकि इससे हमारी बुद्धि निर्मल हो जाती है और हम सही मार्ग पर चलने लगते हैं।