कंकर कंकर में है शंकर

कंकर कंकर में है शंकर

कोई कहे काशी में रहता,
कोई कहे कैलाश में,
कंकर कंकर में हैं शंकर,
ढूंढ ले अपने पास में।

बड़े ही दानी बड़े दयालु,
और बड़ा दिल वाला है,
भगतो के लिए भोला है,
ये दुष्टों के लिए भाला है,
भोला से भोली बन जाते,
कृष्ण मिलन की आस में।

पीते गरल हैं फिर भी सरल हैं,
नीलकंठ कहलाते हैं,
एक लोटा जल जो भी चढ़ावे,
उनसे खुश हो जाते हैं,
एक समान है सबको समझा,
फर्क न आम और खास में।

अजर अमर अविनाशी बाबा,
दुनिया के रखवाले हैं,
श्मशानो के वासी है,
पर जग को देने वाले है,
सदा ही रहते पंकज,
शंभू राम की तलाश में।

शिव जन जन में,
शिव कण कण में,
शिव घट घट में,
शिव पथ पथ में,
शिव ही साहिल,
शिव ही भव है,
शिव ना जिस,
तन में वो शव है,
आग़ाज़ है शिव,
अंजाम है शिव,
जो जग में है,
वो तमाम है शिव,
शिव सत्य है,
बाकी आडम्बर,
कंकर कंकर मे है शंकर।
 


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