माँगन गै सो मर रहै मीनिंग Mangan Ge So Mar Rahe Mare Hindi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
माँगन गै सो मर रहै, मरै जु माँगन जाहिं |
तिनते पहिले वे मरे, होत करत हैं नहिं ||
Mangan Ge So Mar Rahe,Mare Ju Mangan Jahi,
Tinake Pahile ve Mare, Hot Karat Hai Nahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की जो कहीं पर मांगने जाता है वह पहले ही मर जाता है। आशय है की किसी से कुछ मांगने पर उसका आत्मसम्मान स्वतः ही मर जाता है, समाप्त हो जाता है। ऐसे लोगों से भी पहले वे लोग समाप्त हो जाते हैं जिनके पास कुछ होते हुए भी मना कर देते हैं। आशय है की व्यक्ति को अपने सम्मान को कम करके किसी से कुछ भी माँगना चाहिए। और वे साथ ही ऐसे लोगों को भी समझाते हैं की यदि कोई आपके पास कोई वस्तु है तो मना मत करो क्योंकि यह भी एक तरह से मौत ही है।
कबीर साहेब कहते हैं की किसी से कोई सहायता/मांगने से पहले व्यक्ति को स्वंय को सक्षम करना चाहिए क्योंकि मांगने वाला मरे हुए व्यक्ति के सामान होता है. मांगने वाले को कबीर साहेब ने मृत कहा है लेकिन साहेब कहते हैं की जिस के पास कुछ है और वह मांगने वाले को यदि कुछ नहीं देता है तो वह भी मृत्यु के सामान होता है. कबीर साहेब की यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण है। वे कहते हैं कि किसी से सहायता मांगना अच्छी बात नहीं है। यह आत्मनिर्भरता की कमी को दर्शाता है। जो व्यक्ति किसी से सहायता मांगता है, वह मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर होता है। वह अपने जीवन में सफल होने के लिए सक्षम नहीं होता है।