मुला मुनारै क्या चढ़हि अला न बहिरा होइ हिंदी मीनिंग Mula Munare Kya Chadhahi Meaning : Kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth
मुला मुनारै क्या चढ़हि, अला न बहिरा होइ।
जेहिं कारन तू बांग दे, सो दिल ही भीतरि जोइ॥
Mula Munare Kya Chadhahi, Ala Na Bahira Hoi,
Jehi Karan Tu Bang De, So Dil Hi Bhitari Joi.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
धार्मिक आडम्बरों पर कबीर साहेब व्यंग्य करते हुए कहते हैं की मुस्लिम धर्म में मुल्ला मीनार पर चढ़ कर जोर जोर से बखान करता है। ऐसे में साहेब कहते हैं की अल्लाह बहरा नहीं हुआ है। जिस कारण से तू बांग दे रहा है, वह अल्लाह तो तेरे ही हृदय के भीतर बैठा है। आशय है की इश्वर को कहीं पर बलपूर्वक ढूँढने के आवश्यकता नहीं है। इश्वर तो व्यक्ति के हृदय में ही होता है। केवल उसको आत्मिक प्रकाश में देखने की आवश्यकता होती है। कबीर साहेब एक मुल्ला को संबोधित कर रहे हैं जो मीनार पर चढ़कर अल्लाह की नमाज और प्रार्थना करते हैं। कबीर साहेब कहते हैं कि अल्लाह बहरा नहीं है, इसलिए मीनार पर चढ़कर बाँग देना आवश्यक नहीं है। जिसके लिए मुल्ला बाँग देता है, उसे उसे अपने दिल में देखना चाहिए। कबीर साहेब का कहना है कि ईश्वर को पाना या उसकी कृपा प्राप्त करना किसी कर्मकांड या अनुष्ठान से नहीं होता है। यह तो केवल अपने दिल को शुद्ध करके और ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखकर ही संभव होता है।