गुरु आज्ञा मानै नहीं चलै अटपटी चाल हिंदी मीनिंग Guru Aagya Mane Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth Hindi me
गुरु आज्ञा मानै नहीं, चलै अटपटी चाल,
लोक वेद दोनो गये, आगे सिर पर काल।
Guru Aagya Mane Nahi, Chale Atpati Chal,
Lok Ved Dono Gaye, Aage Sir Par Kaal.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
इस दोहे में कबीर साहेब गुरु समर्पित साधक के विषय में कथन है की ऐसे शिष्य जो गुरु की आज्ञा का पालन नहीं करते हैं और अटपटी चाल चलते हैं, ऐसे साधक के लोक (जगत) वेद (धर्म) दोनों ही चले जाते हैं, उसके सर पर काल सदा ही खड़ा रहता है। इस दोहे में कबीर गुरु के महत्व और गुरु की आज्ञा का पालन करने के महत्व को बता रहे हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति गुरु के आदेशों को नहीं मानता है, वह अपने जीवन को व्यर्थ कर देता है। उसका जीवन दोनों लोकों में व्यर्थ हो जाता है, अर्थात् इस लोक में और परलोक में। इस लोक में उसे सफलता और सुख प्राप्त नहीं होता है।