मुला मुनारै क्या चढ़हि अला न बहिरा होइ हिंदी अर्थ कबीर के दोहे

मुला मुनारै क्या चढ़हि अला न बहिरा होइ हिंदी अर्थ Mula Munare Kya Chadhahi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit.

मुला मुनारै क्या चढ़हि, अला न बहिरा होइ।
जेहिं कारन तू बांग दे, सो दिल ही भीतरि जोइ॥ 
 
Mula Munare Kya Chadhahi, Ala Na Bahira Hoi,
Jehi Karan Tu Bang De, So Dil Bhitari Joi.
 
मुला मुनारै क्या चढ़हि अला न बहिरा होइ हिंदी अर्थ Mula Munare Kya Chadhahi Meaning
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

धार्मिक आडम्बर पर कटाक्ष करते हुए कबीर साहेब कहते हैं की मुल्ला मीनार पर चढ़कर जोर जोर से बोलता है, अल्लाह बहरा नहीं हुआ है। जिस कारण या जिसके लिए मुल्ला बांग लगाता है वह तो उसके हृदय में ही है। आशय है की इश्वर को कहीं बाहर ढूँढने की आवश्यकता नहीं है वह तो साधक के हृदय में ही वास करता है। उसे जोर जोर से बुलाने, नाम सुमिरन को जोर जोर से करने का कोई विशेष लाभ नहीं होता है। यह तो शुद्ध रूप से आत्मिक विषय है। परमात्मा हृदय में है, लेकिन वह छुपा हुआ है, उसे प्राप्त करने के लिए सदाचार और सत्य के आचरण का दीपक जागृत करना चाहिए। दोहे के पहले दो पंक्तियों में कबीर दास जी कहते हैं कि मुल्ला मीनार पर चढ़कर बाँग देता है, ताकि अल्लाह उसे सुन सके। लेकिन अल्लाह बहरा नहीं है, वह सब कुछ सुनता है। तीसरी पंक्ति में वे कहते हैं कि जिसके लिए मुल्ला बाँग देता है, उसे अपने दिल के भीतर देखना चाहिए। अल्लाह हमारे दिल में ही रहता है। कबीर दास जी के अनुसार, बाहरी दिखावे और आडंबरों से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। सच्चा धर्म तो मन के भीतर होता है। हमें अपने मन को शुद्ध और निर्मल रखना चाहिए।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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