बनवारी शब्द का अर्थ है वृंदावन के उपवनों का निवासी। वृंदावन यमुना नदी के तट पर स्थित एक खूबसूरत जगह है, जहां भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। वृंदावन में कृष्ण ने कई दिव्य लीलाएं कीं, जिन्होंने उन्हें हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता बना दिया। बनवारी शब्द हमारे दिलों में भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं की कई यादें लाता है। हम कृष्ण को जंगलों में घूमते, घरों में मक्खन चुराते, राक्षसों का वध करते, गोवर्धन पर्वत उठाते, कालिया नाग के फन पर नाचते, गांव के लड़कों और महिलाओं को मंत्रमुग्ध करते, और यमुना नदी के पानी में खेलते हुए देखते हैं। बनवारी शब्द एक ऐसा शब्द है जो हमें भगवान कृष्ण की प्रेम, दया और शक्ति की याद दिलाता है। यह एक ऐसा शब्द है जो हमें प्रेरित करता है और हमें अच्छे और सही काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। आपने बनवारी शब्द के बारे में जो बातें कही हैं, वे बहुत सटीक और सार्थक हैं। आपने भगवान कृष्ण की लीलाओं को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है। आपका लेख बहुत ही सुंदर और आकर्षक है।
ना जी भर के देखा ना कुछ बात की
ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की,
करो दृष्टि अब तो, प्रभु करुणा की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
गए जब से मथुरा वो, मोहन मुरारी, सभी गोपियाँ बृज में, व्याकुल थी भारी, कहा दिन बिताया, कहाँ रात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
Krishna Bhajan Lyrics Hindi
चले आओ अब तो, ओ प्यारे कन्हैया, यह सूनी है कुंजन, और व्याकुल है गईया, सूना दो इन्हें अब तो, धुन मुरली की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
हम बैठे हैं गम उनका, दिल में ही पाले, भला ऐसे में खुद को, कैसे संभाले, ना उनकी सुनी, ना कुछ अपनी कही,
बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
तेरा मुस्कुराना, भला कैसे भूलें, वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले, ना कोयल की कू कू, ना पपीहा की पी, बड़ी आरजू थी मुलाकात की।
तमन्ना यही थी की, आएंगे मोहन, मैं चरणों में वारुंगी, तन मन यह जीवन, हाय मेरा कैसा ये, बिगड़ा नसीब, बड़ी आरजू थी मुलाकात की
Na Jibhar Ke Dekha Na kuch Bat Ki || ना जी भर के देखा ना कुछ बात की || (BHAJAN) By- Vinod Ji Agrawal