पितर पधारो म्हारे आंगणिया लिरिक्स Pitar Padharo Mhare Aanganiya Lyrics
पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान किए जाते हैं। इन अनुष्ठानों को श्राद्ध कहा जाता है। श्राद्ध में पितरों को तर्पण, पिंडदान, भोजन, दान आदि दिया जाता है। इन अनुष्ठानों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
पितृपक्ष में किए गए तर्पण से से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा है। हिन्दू धर्म में इन दिनों का खास महत्व है। पितृ पक्ष पर पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं।
पितृपक्ष में किए गए तर्पण से से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा है। हिन्दू धर्म में इन दिनों का खास महत्व है। पितृ पक्ष पर पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं।
पितर पधारो म्हारे आंगणिया लिरिक्स Pitar Padharo Mhare Aanganiya Lyrics
थार पग पग फुलडा बिछावे म्हारी माई,पितर पधारो म्हारे आंगणिया,
पितर पधारो म्हारे आंगणिया।
कपिला गाय को गोबर मँगावा,
जा बिच अँगणा लेप करास्या,
यो तो मोतियन चौक पुराव म्हारी माई,
पितर पधारो म्हारे आँगणिया।
गंगा जी से जल मँगवास्या,
पितरा न स्नान करास्या,
थन पाँचो ही कपड़ा,
पहराव थारी माय,
पितर पधारो म्हारे आँगणिया।
कपिला गाय को दुध मँगवास्या,
उजली उजली खीर बनवास्या,
थार भोग त लगाव,
देख थारी थारी माय,
पितर पधारो म्हारे आँगणिया।
धन चौदस की रात जगास्या,
पितरा न पाट बैठास्या,
थाक भजन कराव देखो,
थाकी थाकी माय,
पितर पधारो म्हारे आँगणिया।
थार पग पग फुलडा,
बिछावे म्हारी माई,
पितर पधारो म्हारे आंगणिया,
पितर पधारो म्हारे आंगणिया।