भक्ति बिन नहिं निस्तरे लाख करे जो कोय हिंदी मीनिंग Bhakti Bin Nahi Nistare Meaning : Kabir Ke
Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
भक्ति बिन नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय |शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय ||
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
इस दोहे में कबीर साहेब भक्ति के महत्व और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि भक्ति के बिना कोई मुक्ति नहीं पा सकता, चाहे लाखों-लाखों यत्न कर ले। जो गुरु के निर्णय वचनों का प्रेमी होता है, वही सत्संग के द्वारा अपनी स्थिति को प्राप्त करता है। अतः भक्ति के अभाव में हम इश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकते हैं, भले ही हम लाखों सांसारिक यतन कर लें.
"भक्ति बिन नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय" - भक्ति के बिना कोई मुक्ति नहीं पा सकता। भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। भक्ति के बिना कोई भी प्रयत्न सफल नहीं होगा।
"शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय" - जो गुरु के शब्दों के महत्त्व को समझता है वही सत्संग/भक्ति के द्वारा इश्वर को प्राप्त कर सकता है। सत्संग के माध्यम से गुरु के वचनों को समझा जा सकता है। जब हम गुरु के निर्णय वचनों को समझ लेते हैं, तो हम ईश्वर के चरणों में पहुँच जाते हैं। इस प्रकार, इस दोहे में कबीर साहेब भक्ति के महत्व और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि भक्ति और सत्संग के माध्यम से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। इस दोहे का संदेश यह है कि हमें भक्ति और सत्संग के लिए प्रयत्न करना चाहिए। हमें गुरु के निर्णय वचनों का प्रेमी होना चाहिए।
"भक्ति बिन नहिं निस्तरे, लाख करे जो कोय" - भक्ति के बिना कोई मुक्ति नहीं पा सकता। भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है। भक्ति के बिना कोई भी प्रयत्न सफल नहीं होगा।
"शब्द सनेही होय रहे, घर को पहुँचे सोय" - जो गुरु के शब्दों के महत्त्व को समझता है वही सत्संग/भक्ति के द्वारा इश्वर को प्राप्त कर सकता है। सत्संग के माध्यम से गुरु के वचनों को समझा जा सकता है। जब हम गुरु के निर्णय वचनों को समझ लेते हैं, तो हम ईश्वर के चरणों में पहुँच जाते हैं। इस प्रकार, इस दोहे में कबीर साहेब भक्ति के महत्व और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि भक्ति और सत्संग के माध्यम से ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। इस दोहे का संदेश यह है कि हमें भक्ति और सत्संग के लिए प्रयत्न करना चाहिए। हमें गुरु के निर्णय वचनों का प्रेमी होना चाहिए।