कबीर गुरु की भक्ति बिन हिंदी मीनिंग Kabir Guru Ki Bhakti Meaning

कबीर गुरु की भक्ति बिन हिंदी मीनिंग Kabir Guru Ki Bhakti Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit

कबीर गुरु की भक्ति बिन, अधिक जीवन संसार |
धुँवा का सा धौरहरा, बिनसत लगै न बार ||
 
कबीर गुरु की भक्ति बिन हिंदी मीनिंग Kabir Guru Ki Bhakti Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीरदास जी ने बिना गुरु भक्ति के जीवन के सारहीन होने के बारे में बताते हैं। वे कहते हैं कि बिना गुरु भक्ति के संसार में जीवन व्यर्थ है। यह माया तो धुएं के महल के समान है, जो बहुत शीघ्र ही नष्ट हो जानी है. गुरु के द्वारा बताये गए मार्ग पर भक्ति के बिना अधिक जीना कोई मायने नहीं रखता है. यह संसार तो धुएं से निर्मित एक महल की भाँती है जो एक रोज समाप्त हो ही जाना है, इसे नष्ट होने में अधिक समय नहीं लगता है .

कबीरदास जी कहते हैं कि यह माया (संसार) तो धुएं के महल के समान है। जैसे धुआँ जल्द ही नष्ट हो जाता है, लुप्त हो जाता है ऐसे ही एक रोज मायाजनित संसार भी समाप्त हो जाना है, यह स्थाई नहीं है। इसी प्रकार, यह माया भी जल्द ही नष्ट हो जाएगी। इसलिए, हमें सांसारिक जीवन में नहीं पड़ना चाहिए और गुरु के बताये मार्ग का अनुसरण करके भक्ति में ही अपने जीवन को समर्पित करना चाहिए। हमें भक्ति में ध्यान लगाकर ईश्वर को प्राप्त करना चाहिए। इस दोहे का संदेश यह है कि हमें गुरु भक्ति में निरंतर लगे रहना चाहिए। गुरु भक्ति के द्वारा ही हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
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