कालरात्रि माता आरती लिरिक्स Kalratri Mata Ki Aarti

कालरात्रि का अर्थ है "काला रात"। उनका रंग काला है, और उनका रूप भयानक है। उनके तीन नेत्र हैं, और उनके बाल बिखरे हुए हैं। उनके हाथों में खड्ग, त्रिशूल, कांटा और डमरू हैं। उनके गले में मुंडों की माला है। कालरात्रि को एक शक्तिशाली देवी के रूप में पूजा जाता है। वे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। वे अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय और कष्टों से बचाती हैं।

Naye Bhajano Ke Lyrics

कालरात्रि माता आरती लिरिक्स Kalratri Mata Ki Aarti : Mata Rani Bhajan

जय कालरात्रि माता,
मैया कालरात्रि माता,
धन वैभव सम्पत्ति,
की तुम ही दाता,
जय कालरात्रि माता।

रूप भयंकर तेरा,
शक्ति महामाई,
मैया शक्ति महामाई,
छवि देखते ही तुम्हारी,
काल भी डर जाई,
जय कालरात्रि माता।

भूत प्रेत और दानव,
निकट नहीं आते,
मैया निकट नहीं आते,
खड़ग कटार के आगे,
शत्रु ना टिक पाते,
जय कालरात्रि माता।

गधर्व वाहिनी मैया,
कृपा जरा कीजो,
मैया कृपा जरा कीजे,
निर्बल को माँ शक्ति,
अपनी शरण दीजो,
जय कालरात्रि माता।

नौ दुर्गा में भवानी,
सातवाँ तेरा स्थान,
मैया सातवाँ तेरा स्थान,
महामाया महाकाली,
शक्ति तेरी महान,
जय कालरात्रि माता।

सातवें नवरात्रे को,
पूजी तुम जाती,
मैया पूजी तुम जाती,
मनवांछित फल देती,
तुम सबको दाती,
जय कालरात्रि माता।

हे प्रचंड ज्वालामयी,
हमपे दया करना,
मैया हमपे दया करना,
जानके सेवक अपना,
दुख विपदा हरना,
जय कालरात्रि माता।

चिंता हरना दाती,
काल करे ना वार,
मैया काल करे ना वार,
विनती इनती सी माँ,
कर लेना स्वीकार,
जय कालरात्रि माता।

लेकर आस शरण में,
तेरी हम आये,
मैया तेरी शरण आये,
सुना है खाली दर से,
ना तेरे कोई जाये,
जय कालरात्रि माता।

जय कालरात्रि माता,
मैया कालरात्रि माता,
धन वैभव सम्पत्ति की,
तुम ही दाता,
जय कालरात्रि माता।

जय कालरात्रि माता,
मैया कालरात्रि माता,
धन वैभव सम्पत्ति,
की तुम ही दाता,
जय कालरात्रि माता।
 



नवरात्रि का सातवां दिन : Kaalratri Mata Aarti | जय कालरात्रि माता आरती Mata Aarti | Navratri 7th Day

 
कालरात्रि की पूजा करने से कई लाभ होते हैं। यह भक्तों को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह उन्हें बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है। यह उन्हें सभी प्रकार की बाधाओं और कठिनाइयों से दूर रखता है। कालरात्रि की पूजा करने के लिए, भक्तों को नवरात्रि के सातवें दिन उपवास करना चाहिए। उन्हें देवी को पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। उन्हें देवी की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए। कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के लाभ होते हैं। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं।
कालरात्रि के अन्य नामों में रौद्री और धूम्रवर्णा शामिल हैं। रौद्री का अर्थ है "क्रोधपूर्ण", और धूम्रवर्णा का अर्थ है "धुएं से घिरा हुआ"।

माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में भयानक है, लेकिन वे सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। उनका नाम 'शुभंकारी' भी इसीलिए पड़ा है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। वे दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि का विनाश कर देती हैं। वे ग्रह-बाधाओं को भी दूर करती हैं। उनके उपासक को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है। वे अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि के भय से मुक्त हो जाते हैं। माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ होते हैं। वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करते हैं। माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए, भक्तों को नवरात्रि के सातवें दिन उपवास करना चाहिए। उन्हें देवी को पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। उन्हें देवी की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए।
 
"जय कालरात्रि माता" भजन का अर्थ

यह भजन देवी कालरात्रि की स्तुति करता है, जो नवरात्रि की सातवीं देवी हैं। भजन में, भक्त देवी से धन, वैभव और संपत्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। वे देवी की शक्ति और भयंकर रूप की भी स्तुति करते हैं।

भजन के कुछ प्रमुख अंशों का अर्थ निम्नलिखित है:
"जय कालरात्रि माता, मैया कालरात्रि माता, धन वैभव सम्पत्ति, की तुम ही दाता, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी कालरात्रि को धन, वैभव और संपत्ति की दाता के रूप में स्वीकार करते हैं।
"रूप भयंकर तेरा, शक्ति महामाई, मैया शक्ति महामाई, छवि देखते ही तुम्हारी, काल भी डर जाई, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी के भयंकर रूप और शक्ति की स्तुति करते हैं। वे कहते हैं कि देवी का रूप इतना भयंकर है कि काल भी उनसे डरता है।
"भूत प्रेत और दानव, निकट नहीं आते, मैया निकट नहीं आते, खड़ग कटार के आगे, शत्रु ना टिक पाते, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की शक्ति के सामने भूत, प्रेत और दानवों की शक्तिहीनता की स्तुति करते हैं। वे कहते हैं कि देवी के खड़ग और कटार के आगे शत्रु भी टिक नहीं पाते हैं।
"गधर्व वाहिनी मैया, कृपा जरा कीजो, मैया कृपा जरा कीजे, निर्बल को माँ शक्ति, अपनी शरण दीजो, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी से अपनी कृपा करने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि वे निर्बल हैं और देवी की शरण में आते हैं।
"नौ दुर्गा में भवानी, सातवाँ तेरा स्थान, मैया सातवाँ तेरा स्थान, महामाया महाकाली, शक्ति तेरी महान, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी को नवरात्रि की सातवीं देवी के रूप में स्वीकार करते हैं। वे कहते हैं कि देवी महामाया और महाकाली हैं और उनकी शक्ति बहुत महान है।
"सातवें नवरात्रे को, पूजी तुम जाती, मैया पूजी तुम जाती, मनवांछित फल देती, तुम सबको दाती, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की पूजा के महत्व की स्तुति करते हैं। वे कहते हैं कि देवी सातवें नवरात्रे को पूजी जाती हैं और वे सभी को मनवांछित फल देती हैं।
"हे प्रचंड ज्वालामयी, हमपे दया करना, मैया हमपे दया करना, जानके सेवक अपना, दुख विपदा हरना, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी से अपने दुख और विपदाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि देवी उनकी दया करें क्योंकि वे उनके सेवक हैं।
"चिंता हरना दाती, काल करे ना वार, मैया काल करे ना वार, विनती इनती सी माँ, कर लेना स्वीकार, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी से अपनी चिंताओं को दूर करने और काल के प्रहार से बचाने की प्रार्थना करते हैं। वे कहते हैं कि वे देवी से विनती करते हैं कि वे उनकी विनती स्वीकार करें।
"लेकर आस शरण में, तेरी हम आये, मैया तेरी शरण आये, सुना है खाली दर से, ना तेरे कोई जाये, जय कालरात्रि माता।" - इस पंक्ति में, भक्त देवी की शरण में आने की अपनी आशा व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने सुना है कि देवी की शरण में आने वाला कोई भी खाली नहीं जाता है।

"जय कालरात्रि माता" भजन एक शक्तिशाली भजन है जो देवी कालरात्रि की स्तुति करता है। यह भजन देवी की शक्ति, भयंकर रूप और दयालुता
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