आए मैया के नवराते, हो रहे घर घर में, हो रहे घर घर में जगराते, रिझाते मैया को, रिझाए मैया को झूमते गाते, गूंज रही भक्तो की, गूंज रही भक्तो की जय जयकार, सजा है माता का, सजा है माता का दरबार।
बुलावा जब जब भवन से आए, भेज के चिठियाँ मात बुलाए, नंगे पाओं ओए, नंगे पाओं चलके जाए, भेंटे लेके ओए, भेंटे लेके खड़े है द्वार, मैया दर्शन दो, मैया दर्शन दो सिंह सवार।
माँ का कोई है पार ना पाया, रूप धर कन्या का महामाया, दुखड़ा भक्तो का मात मिटाया, करे कन्याओ का जो सत्कार, भवानी करती बेड़ा पार।
वैष्णो माँ की महिमा भारी, हरेगी लख्खा चिंता सारी, तारनहारी हारी माँ, सरल चल चलिए, ओय एक बार, खुलेंगे खुशियों के, खुलेंगे खुशियों के फिर द्वार आए मैया के नवराते, हो रहे घर घर में, हो रहे घर घर में जगराते।
Aaye Mayya ke Navrate-lakkha bhajan
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। नवरात्रि शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: नव (नौ) और रात्रि (रातें)। अर्थात् नवरात्रि नौ रातों का त्योहार है। नवरात्रि दो बार आयोजित की जाती है: एक चैत्र महीने में और दूसरी बार अश्विन महीने में। चैत्र नवरात्रि को बसंत नवरात्रि और अश्विन नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है।