कंचन तजना सहज है सहज तिरिया का नेह हिंदी मीनिंग Kanchan Tajana Sahaj Hai Meaning : kabir Ke Dohe Ka Hindi arth/Bhavarth
कंचन तजना सहज है, सहज तिरिया का नेहमान बढ़ाई ईरषा, दुरलभ तजनी येह
Kanchan Tajana Sahaj Hai, Sahaj Tiriya Ka Neh,
Maan Badhai Irakha, Durlabh Tajani Yah.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
अहम् और अभिमान के सम्बन्ध में कबीर साहेब की वाणी है की धन दौलत और स्त्री के मोह को छोड़ना सरल है, आसान है लेकिन दंभ, अहम् और अहंकार ऐसा विकार है जिससे सरलता से पीछा नहीं छुडाया जा सकता है. बड़े बड़े ग्यानी और संत भी अहम् को नहीं त्याग पाते हैं. संत कबीरदास जी के इस दोहे में उन्होंने सही कहा है कि सोने का त्याग करना और स्त्री के प्रति आकर्षण को त्यागना आसान है, लेकिन दूसरों से सम्मान पाने का मोह त्यागना कठिन है। अतः संकेत है की भक्ति मार्ग में स्वंय के होने का भाव भी समाप्त करना पड़ता है, साहेब कहते हैं की प्रेम की गली अति सांकरी है, जिसमें भक्ति समर्पण और अहम् दोनों एक साथ समां नहीं पाते हैं. इसलिए हमें गर्म का त्याग करके गुरु के चरणों में समर्पित होकर साधना करनी चाहिए.
दौलत या सोना एक भौतिक वस्तु है, और स्त्री एक प्राकृतिक आकर्षण है। इनका त्याग करना एक तरह से सांसारिक मोह को त्यागना है। लेकिन दूसरों से सम्मान पाने का मोह एक प्रकार का अहम् है, और अहम् को त्यागना बहुत ही कठिन होता है। सच्चा साधक वही होता है जो मान सम्मान प्राप्त करने की भावना को त्याग दे.साहेब तो कहते हैं की मैं तो दासों का भी दास हूँ जैसे की पांवों तले की घास होती है.
हम सभी को दूसरों से सम्मान और आदर की इच्छा होती है। हम चाहते हैं कि लोग हमें अच्छा समझें, और हमारी सराहना करें। लेकिन जब यह इच्छा एक अहम् बन जाती है, तो यह हमें नुकसान पहुंचाने लगती है। यह हमें दूसरों से तुलना करने लगती है, और हमें ईर्ष्या और घमंड की भावनाओं से भर देती है। अगर हम दूसरों से सम्मान पाने के मोह को त्याग दें, तो हम दूसरों के प्रति अधिक दयालु और समभावी बन सकते हैं। हम दूसरों की गलतियों को माफ कर सकते हैं। हम दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रह सकते हैं। हम अपने अहंकार और घमंड से बच सकते हैं।