नवरात्रि-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा की जाती है। कूष्माण्डा देवी को ब्रह्मचारिणी देवी भी कहा जाता है। इनका स्वरूप बहुत ही सुंदर और अलौकिक है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमंडल, दर्पण, जप माला और त्रिशूल है। इनके मस्तक पर एक मुकुट है, जो उन्हें अत्यंत शोभा देता है।
कूष्माण्डा देवी की पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है। इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है। 'अनाहत' चक्र हृदय में स्थित होता है। इस चक्र का संबंध प्रेम, करुणा और सहानुभूति से होता है। अतः इस दिन साधक को अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। कूष्माण्डा देवी ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा हैं। इनकी कृपा से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
कूष्माण्डा देवी का स्वरूप बहुत ही सुंदर और अलौकिक है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमंडल, दर्पण, जप माला और त्रिशूल है। इनके मस्तक पर एक मुकुट है, जो उन्हें अत्यंत शोभा देता है। कूष्माण्डा देवी की पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है। कूष्माण्डा देवी को सूर्य की देवी भी कहा जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को सूर्य के समान ही तेज और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
कूष्माण्डा देवी की पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है। इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में अवस्थित होता है। 'अनाहत' चक्र हृदय में स्थित होता है। इस चक्र का संबंध प्रेम, करुणा और सहानुभूति से होता है। अतः इस दिन साधक को अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। कूष्माण्डा देवी ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा हैं। इनकी कृपा से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
कूष्माण्डा देवी का स्वरूप बहुत ही सुंदर और अलौकिक है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें कमंडल, दर्पण, जप माला और त्रिशूल है। इनके मस्तक पर एक मुकुट है, जो उन्हें अत्यंत शोभा देता है। कूष्माण्डा देवी की पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से भक्तों के सभी पापों का नाश होता है। कूष्माण्डा देवी को सूर्य की देवी भी कहा जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को सूर्य के समान ही तेज और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
कुष्मांडा माता आरती लिरिक्स Kushmanda Mata Aarti Lyrics
माँ आरती तेरी गाते,मैया आरती तेरी गाते,
कुष्मांडा महामाया,
हम तुमको ध्याते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
हे जगदम्बा दयामयी,
आदि स्वरूपा माँ,
देव ऋषि मुनि ज्ञानी,
गुण तेरे गाते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
कर ब्रह्माण्ड की रचना,
कुष्मांडा कहलाये,
वेद पुराण भवानी,
सब यही बतलाते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
सूर्य लोक निवासिनी,
तुमको कोटी प्रणाम,
सम्मुख तेरे पाप और,
दोष ना टिक पाते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
अष्ट भुजे महाशक्ति,
सिंह वाहिनी है तू,
भव सिंधु से तरते,
दर्शन जो पाते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
अष्ट सिद्धि नौ निधियाँ,
हाथ तेरे माता,
पा जाते है सहज ही,
जो तुमको ध्याते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
शास्त्र विधि से विधिवत,
जो पूजन करते,
आदि शक्ति जगजननी,
तेरी दया पाते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
नवदुर्गो में मैया,
चौथा स्थान तेरा,
चौथे नवरात्रे को,
भक्त तुझे ध्याते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
आधि व्याधि सब हरके,
सुख समृद्धि दो,
हे जगदम्ब भवानी,
इतनी दया चाहते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
कुष्मांडा जी की आरती,
जो कोई गावे,
कहत शिवानंद स्वामी,
मनवांछित फल पावे,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते,
कुष्मांडा महामाया,
हम तुमको ध्याते,
माँ आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते।