नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा करने से मनुष्य को ज्ञान, विद्या, और बुद्धि की प्राप्ति होती है। वे अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा करने से मनुष्य को सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इसलिए इस दिन सभी भक्तों को कूष्माण्डा देवी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। कूष्माण्डा देवी सृष्टि की आदि-स्वरूपा हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। वे ही ब्रह्मांड की मूल शक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
कुष्मांडा माता की आरती
कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
पिगंला ज्वालामुखी निराली, शाकंबरी माँ भोली भाली, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
लाखों नाम निराले तेरे, भक्त कई मतवाले तेरे, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
भीमा पर्वत पर है डेरा, स्वीकारो प्रणाम ये मेरा, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
सबकी सुनती हो जगदंबे, सुख पहुँचाती हो माँ अंबे, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा, पूर्ण कर दो मेरी आशा, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
माँ के मन में ममता भारी, क्यों ना सुनेगी अरज हमारी, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
तेरे दर पर किया है डेरा, दूर करो माँ संकट मेरा, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
मेरे कारज पूरे कर दो, मेरे तुम भंडारे भर दो, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
तेरा दास तुझे ही ध्यायें, भक्त तेरे दर शीश झुकायें, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी, कुष्मांडा जय जग सुखदानी, मुझ पर दया करो महारानी।
कुष्मांडा माता की आरती | Khusmaanda Mata Aarti | नवरात्रि चौथे दिन की आरती | कुष्मांडा जी की आरती