मैं प्रातःकाल श्री ललिता देवी के उस मनोहर मुख कमल का स्मरण करता हूँ, जिनके बिम्ब समान रक्तवर्ण अधर, विशाल मौक्तिक (मोती के बुलाक) से सुशोभित नासिका और कर्णपर्यन्त फैले हुए विस्तीर्ण नयन हैं, जो मणिमय कुण्डल और मन्द मुसकान से युक्त तथा जिनका ललाट कस्तूरि का तिलक से सुशोभित है।
मैं श्री ललिता देवी की भुजारूपिणी कल्प लता का प्रातःकाल स्मरण करता हूँ, जो लाल अँगूठी से सुशोभित सुकोमल अंगुलि रूप पल्लवों वाली तथा रत्नखचित सुवर्ण कंकण और अंगदादि से भूषित है एवं जिसने पुण्ड्र ईंख के धनुष, पुष्पमय बाण और अंकुश धारण किये हैं।
Durga Mata Bhajan Lyrics Hindi,Navratra Navratri Mata Bhajan Lyrics
मैं श्री ललिता देवी के चरणकमलों को जो भक्तों को अभीष्ट फल देने वाले और संसार सागर के लिये सुदृढ़ जहाज रूप हैं तथा कमलासन श्री ब्रह्माजी आदि देवेश्वरों से पूजित और पद्म, अंकुश, ध्वज एवं सुदर्शनादि मंगलमय चिह्नों से युक्त हैं, प्रातः काल नमस्कार करता हूँ।
मैं प्रातः काल परम कल्याण रूपिणी श्री ललिता भवानी की स्तुति करता हूँ, जिनका वैभव वेदान्तवेद्य है, जो करुणामयी होने से शुद्धस्वरूपा हैं, विश्वकी उत्पत्ति, स्थिति और लयकी मुख्य हेतु हैं, विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं तथा वेद, वाणी और मनकी गतिसे अति दूर हैं।
हे ललिते! मैं तेरे पुण्य नाम कामेश्वरी, कमला, महेश्वरी, शाम्भवी, जगज्जननी, परा, वाग्देवी तथा त्रिपुरेश्वरी आदि का प्रातः काल अपनी वाणी द्वारा उच्चारण करता हूँ।
माता ललिता के अति सौभाग्यप्रद और सुललित इन पाँच श्लोकों को जो मनुष्य प्रातःकाल पढ़ता है, उसे शीघ्र ही प्रसन्न होकर ललिता देवी विद्या, धन, निर्मल सुख और अनन्त कीर्ति देती हैं। इस प्रकार श्रीमत् शंकराचार्य कृत ललिता पंचक सम्पूर्ण हुआ
ललिता पंचकम् l Durga Stotram l आदि शंकराचार्य l माधवी मधुकर